दिल दिल है

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दिल

दिल दिल है। दिल टूटता है। बिखरता है। फटता है। हंसता है। रोता है। खेलता है। फेंकता है। पागल है। काजल है। बादल है। दिल सजना है। सजनी है। दिल सावन है। भादो है। मौसम है। हर पल बदलता है। दिल मजबूरी है। कमजोरी है। लाचारी है। दिल पास है। फेल है। साफ है। छोटा सा दिल। और सौ झमेले।

दिल न होता। हम न होते। न मोहब्बत होती। न जंजाल होते। न शादी होती। न बच्चे होते। न रोते। न हँसते। सारी गलती बड़े बुजुर्गों की है। न सेब खाते। न यह सब होता। अब क्या करें? कुछ नहीं हो सकता। दिल दीवाना है। मस्ताना है। दिल चोर है। दिल मोर है। दिल आसना है। क्या कोसना है? बीत गई। सो बीत गई।

दिल ऐसे ही नहीं बिगड़ा। सेब ने बिगाड़ा। सब ने मना किया..मत खा मत खा। लेकिन बड़े बुजुर्ग माने नहीं। अब भुगतो। दिल बैठ गया। राह चलते अटक गया। अटक गया तो अटक गया। कबूतर संदेश ले जाने लगे। फिर चिट्ठियां जाने लगीं। अब एसएमएस जाने लगे। दिल तो पागल हो। नहीं माना। दिल उड़ने लगा। घूंघट उड़ गया। चुनरी आसमान में फैल गई। बेटे बेटियों का दिल परवाज हो गया।

दिल दूध की तरह है। उबालोगे तो उबलेगा। यह तूफान है। तटबंध टूटेंगे ही। दिल करता है। दिल मरता है। वहीं खपता है। दिल से दुनिया है। दिल से दल। दिल दाल है। पहले साफ की जाती है। फिर पकाई जाती है। फिर खाई जाती है। इसमें प्रोटीन है। दिल में कोकीन है। दिल लगे तो मुश्किल। न लगे तो मुश्किल। सब सेब की देन।

दिल कभी बूढ़ा नहीं होता। दिल कभी सीधा नहीं होता। दिल के राज ताशकंद समझौते की तरह है। आदमी चला जाता है। दिल यहीं छोड़ जाता है। अपनों में भटकता है। उनके लिए रोता है। फिल्मों ने तो दिल का अंबार लगा दिया। भइया मुकेश ऐसा गा गये। दिल अभी भी रोता है।

कवि शायरों ने दिल को नीलाम कर दिया। बीते वक्त सबका दिल फटता था। क्या करे? मुकेश को सुनता था। दिल और जोर से चीख पड़ता था। आज बेफिक्री है। दिल रोता नहीं। हंसता है। तू नहीं तो और सही। डेट और लिव इन इसी के पर्यायवाची हैं।

दिल कब दस्तक दे दे। पता नहीं। पहले आसानी से कुंडी नहीं खुलती थी। अब खट खट की आवाज गांव में भी सुनी जाती है। ऑन लाइन दिल बिकता है। फटता है। सच मानिए। दिल ने बहुत तरक्की की है। दिल की अपनी दुनिया है। दुनिया उसी में कैद है। दिल की रेंज देखकर बाजार बना। आइटम बने। दो दिलों से काम नहीं चला। तो असंख्य दल बने। वोटर के दिल का क्या पता? हो सकता है, वोट मिल जाए?

दिल दलदल है। हर आदमी धंसता जरूर है। तभी हार्ट फेल होने लगे। खेलते, नाचते, गाते लोग जाने लगे। पीस मेकर भले न हो। पेसमेकर अवश्य है। क्या करें? दिल का मामला है। दिल नाजुक है। कभी भी टूट सकता है। न वो सेब खाते न यह दुर्गति होती। एक गलती कितनी भारी पड़ गई। अब कुछ नहीं हो सकता। कांग्रेस नहीं आएगी। दल हो या दिल, इसी से काम चलाओ। दिल दीवाना बिन सजना के माने न!

सूर्यकांत द्विवेदी

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