कर्नाटक कांग्रेस में जूतम पैजार

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कर्नाटक कांग्रेस में जूतों में दाल बंट रही है । बंटती क्यों नहीं मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार से किया वादा जो तोड़ दिया है । ढाई साल पहले सरकार बनने पर सीएम के लिए दोनों के बीच जंग मची तो दिल्ली आलाकमान ने तय कराया था कि ढाई साल बाद सिद्धारमैया कुर्सी छोड़ देंगे और शिवकुमार सीएम बन जाएंगे ।

सिद्धारमैया चाहें तो डिप्टी सीएम बन सकते हैं । शिवकुमार समर्थक दो दर्जन कांग्रेस विधायक इस समय दिल्ली में हैं । आलाकमान उन्हें मिलने का समय तक नहीं दे रही । लेकिन सच है जनाब ! छुटती कहां है ज़ालिम मुँह से लगी हुई । सिद्धारमैया पद से हटने को तैयार नहीं ।

वैसे देखिए न महाराष्ट्र में तो यह फॉर्मूला कामयाब रहा । शिवसेना के एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने और देवेंद्र फडणवीस उप मुख्यमंत्री । नया चुनाव हुआ हुआ तो सीटें बदल गई । अब देवेंद्र फडणवीस सीएम हैं और शिन्दे व अजित डिप्टी सीएम । मजे से सरकार चल रही है । आज बीजेपी की आलाकमान में खासा दम है सो महाराष्ट्र सरकार में नो प्रॉब्लम में चल रही है ।

लेकिन विगत शताब्दी के अंतिम दशक में ऐसा बिल्कुल नहीं था । याद कीजिए यूपी में जब बीजेपी और मायावती ने मिलकर सरकार बनाई तब भी ढाई ढाई साल का फॉर्मूला निकाला गया था । पहले ढाई साल के लिए मायावती सीएम बनीं । ढाई साल बाद जब बीजेपी की बारी आई तब मायावती ने कुर्सी छोड़ने से इनकार कर दिया । जाहिर है सरकार गिर गई ।

आपको फिर से महाराष्ट्र की ओर ले चलें । बीजेपी और शिवसेना ने मिलकर विधानसभा चुनाव लड़े और जीते । यहां भी ढाई ढाई साल सीएम पद की बात तय हुई । लेकिन उद्धव अड गए कि पहले सीएम वे बनेंगे । सत्ता के लिए उद्धव ने बालासाहब के सिद्धांत छोड़कर कांग्रेस से हाथ मिला लिया । नतीजा यह निकला कि शिवसेना बीजेपी का दशकों पुराना तालमेल टूट गया । कालांतर में में शिवसेना टूटी और बीजेपी ने शिन्दे को सीएम बनाकर उद्धव शिवसेना को समाप्त कर दिया ।

तो बात कर्नाटक से शुरू हुई , वहीं खत्म होगी । हमें याद है ढाई साल पहले का वह दौर जब एस शिवकुमार मुख्यमंत्री पद छोड़ने को तैयार ही नहीं थे । दरअसल कर्नाटक की जीत के पीछे शिवकुमार की ही मेहनत थी । लेकिन सिद्धारमैया बीच में कूद पड़े और आलाकमान ने 50/50 यानि ढाई ढाई साल का समझौता करा दिया । अब सिद्धारमैया पलटी मार रहे हैं , आलाकमान चुप है । खबर है कि शिवकुमार के इशारे पर अनेक विधायक गायब हो गए हैं । मतलब कर्नाटक में खेला होगा और जरूर होगा ।

,,,,, कौशल सिखौला

वरिष्ठ पत्रकार

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