राष्ट्रपति ने आदि जगद्गुरु शिवयोगी महास्वामी के जयंती समारोह का उद्घाटन किया

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भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को कर्नाटक के मांड्या जिले के मालवल्ली में आदि जगद्गुरु श्री शिवरात्रिश्वर शिवयोगी महास्वामीजी के 1066वें जयंती समारोह का उद्घाटन किया।

 इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि युगों-युगों से संतों ने अपने ज्ञान और करुणा से मानवता को सचेत किया है। उनका जीवन हमें याद दिलाता है कि सच्ची महानता अधिकार या धन में नहीं, बल्कि त्याग, सेवा और आध्यात्मिक शक्ति में निहित है। ऐसे महानतम संतों में आदि जगद्गुरु श्री शिवरात्रीश्वर शिवयोगी महास्वामीजी प्रकाश और प्रेरणा के प्रतीक के रूप में चमकते हैं।

राष्ट्रपति ने यह जानकर प्रसन्नता व्यक्त की कि मठ के मार्गदर्शन और संरक्षण में, जेएसएस महाविद्यालय भारत के उन प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक बनकर उभरा है, जो शिक्षा और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के लिए समर्पित हैं। उन्होंने कहा कि विश्व भर में कई संस्थानों के साथ, यह युवा प्रतिभाओं को निखारने, स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने, महिलाओं को सशक्त बनाने, ग्रामीण समुदायों का उत्थान करने, संस्कृति का संरक्षण करने और समावेशी समाज की नींव को मजबूत करने में लगा हुआ है।

ए, हमें प्रौद्योगिकी की शक्ति और मूल्यों की दृढ़ता, दोनों की आवश्यकता है। एक विकसित भारत के लिए आधुनिक शिक्षा को नैतिक ज्ञान, नवाचार को पर्यावरणीय उत्तरदायित्व, आर्थिक विकास को सामाजिक समावेश और प्रगति को करुणा के साथ एकीकृत करना आवश्यक है। भारत सरकार इसी समग्र दृष्टिकोण के साथ कार्य कर रही है। सुत्तूर मठ जैसे संस्थान इस राष्ट्रीय प्रयास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी सबसे बड़ी ताकत हमारे युवाओं में निहित उनकी ऊर्जा, रचनात्मकता, मूल्य और चरित्र है। भारत का भविष्य न केवल उनके कौशल और ज्ञान से, बल्कि उनकी ईमानदारी और दृढ़ संकल्प से भी तय होगा। उन्होंने सत्तूर मठ जैसे संस्थानों से आग्रह किया कि वे युवा प्रतिभाओं को प्रेरित करते रहें, जिम्मेदार नागरिकों को तैयार करें और भविष्य के भारत के निर्माताओं का मार्गदर्शन करें

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