दुनिया भर में बढ़ती जा रही है यौन हिंसा की वारदातें

Date:

                                                        बाल मुकुन्द ओझा

देश और दुनिया में महिलाओं के विरुद्ध यौन हिंसा की घटनाओं में कमी नहीं आ रही है। आए दिन महिलाएं यौन उत्पीड़न और अत्याचारों का शिकार हो रही हैं। घर से लेकर सड़क तक कहीं भी महिला सुरक्षित नहीं है। द लैंसेट जर्नल में छपी एक ताज़ा रिपोर्ट में दावा किया गया है कि साल 2023 में 100 करोड़ से ज्यादा महिलाओं ने यौन हिंसा झेली है। सबसे हैरान करने वाली बाती ये है कि इन 100 करोड़ में 60.8 करोड़ महिलाओं के साथ यह यौन हिंसा उनके ही इंटीमेट पार्टनर ने की। भारत की बात करे तो 2023 में 15 साल और उससे ज्यादा उम्र की लगभग 23 प्रतिशत महिलाओं को अपने ही पार्टनर से  यौन हिंसा का सामना करना पड़ा, जिसमें मौजूदा या पुराने पार्टनर द्वारा शारीरिक और यौन शोषण शामिल है। अनुमान है कि देश में 15 साल और उससे ज्यादा उम्र की 30 प्रतिशत से अधिक महिलाओं और 13 प्रतिशत पुरुषों ने बचपन में यौन हिंसा का अनुभव किया है। यह आंकड़ा मानवता के सबसे पुराने और व्यापक अन्याय को उजागर करता है, जिस पर अभी भी पर्याप्त कार्रवाई  नहीं हो रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयेसस ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा मानवता की सबसे पुरानी और सबसे व्यापक ज्यादतियों में से एक है, फिर भी इस पर सबसे कम कार्रवाई की जाती है। कोई भी समाज खुद को निष्पक्ष, सुरक्षित या स्वस्थ नहीं कह सकता जब तक कि उसकी आधी आबादी भय के माहौल में जी रही हो। इस हिंसा को समाप्त करना केवल नीतिगत मामला नहीं है; यह सम्मान, समानता और मानवाधिकारों का मामला है। महिलाओं को जबरन परेशान करना, उनके साथ अश्लील बातें करना और छेड़छाड़ करना, शरीर को छूने का प्रयास करना, गंदे इशारे करना आदि जैसे कृत्य यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आते हैं। यौन उत्पीड़न केवल शारीरिक छेड़छाड़ तक ही सीमित नहीं है। यह मौखिक तौर भी हो सकता है जिसमें सेक्सुअल कॉमेंट्स, सेक्सुअल जोक्स और नारी विरोधी हास्य हो सकता है।  

भारत की बात करें तो राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की हाल ही में आई रिपोर्ट के मुताबिक,  भारत में साल 2023 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 4 लाख 48 हजार 211 मामले दर्ज किए गए थे, जो पिछले दो सालों यानी 2022 और 2021 की तुलना में  काफी ज्यादा है। यह रिपोर्ट दिखाती है कि प्रति 1 लाख महिलाओं पर अपराध की राष्ट्रीय दर 66.2 है. तो वहीं, दूसरी तरफ रिपोर्ट के मुताबिक, बलात्कार के 29 हजार 670 मामले (दर 4.4 प्रतिशत ) और महिलाओं पर शील भंग करने के इरादे से हमले के 83 हजार 891 मामले दर्ज किए गए हैं।  भारत को संस्कार, संस्कृति और मर्यादा की त्रिवेणी कहा जाता है। भारतीय संस्कृति में नारी अस्मिता को बहुत महत्व दिया गया है। संस्कृत में एक श्लोक है- यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता। अर्थात जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। मगर आज सब कुछ उल्टा पुल्टा हो रहा है। न नारी की पूजा हो रही है और देवताओं की जगह सर्वत्र राक्षस ही राक्षस दिखाई दे रहे है। समाज के नजरिए में भी महिलाओं के प्रति अब तक कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिला है। ऐसा लगता है जैसे हमारा देश भारत धीरे-धीरे बलात्कार की महामारी से पीड़ित होता जा रहा है। यौन अपराध चिंताजनक रफ्तार से बढ़ रहे हैं।

आजकल रोज प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर महिलाओं के साथ दुष्कर्म और छेड़छाड़ की खबर दिखाई जाती रहती है परंतु इसकी रोकथाम के उपाय पर चर्चा कहीं नहीं होती है। इस तरह के अत्याचार कब रुकेंगें। क्या हम सिर्फ मूक दर्शक बन खुद की बारी का इंतजार करेंगे। लड़कियों पर अत्याचार पहले भी हो रहे थे और आज भी हो रहे हैं अगर इसके रोकने के कोई ठोस उपाय नहीं किये गये। आज भी हमारे समाज में बलात्कारी सीना ताने खुले आम घूमता है और बेकसूर पीड़ित लड़की को बुरी और अपमानित नजरों से देखा जाता है । न तो समाज अपनी जिम्मेदारी का माकूल निर्वहन कर रहा है और न ही सरकार। ऐसे में बालिका कैसे अपने को सुरक्षित महसूस करेगी यह हम सब के लिए बेहद चिंता की बात है।

सच तो यह है कि एक छोटे से गांव से देश की राजधानी तक महिला सुरक्षित नहीं है। अंधेरा होते-होते महिला प्रगति और विकास की बातें छू-मंतर हो जाती हैं। रात में विचरण करना बेहद डरावना लगता है। कामकाजी महिलाओं को सुरक्षित घर पहुँचने की चिंता सताने लगती है। देश में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में कमी नहीं आरही है। भारत में आए दिन महिलाएं हिंसा और अत्याचारों का शिकार हो रही हैं। घर से लेकर सड़क तक कहीं भी महिला सुरक्षित नहीं है। देश में महिला सुरक्षा को लेकर किये जा रहे तमाम दावे खोखले साबित हुए है। महिला सुरक्षा को लेकर देशभर से रोजाना अलग-अलग खबरें सामने आती रहती हैं। देश में महिलाओं की स्थिति पर हमेशा ही सवाल खड़े होते रहे हैं। महिलाओं की सुरक्षा के तमाम दावों और वादों के बाद भी उनकी हालत जस की तस है। महिलाएं रोज ही दुष्कर्म, छेड़छाड़, घरेलू हिंसा और अत्याचार से रूबरू होती है।

बाल मुकुन्द ओझा

वरिष्ठ लेखक एवं पत्रकार

डी 32, मॉडल टाउन, मालवीय नगर, जयपुर

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

कविता से तलवार का काम लेने वाला कवि अदम गोंडवी

आज है कवि अदम गोंडवी की पुण्य तिथि अदम...

लम्बे जनजागरण के बाद मिली गोवा को आजादी

बाल मुकुन्द ओझा                                                                                                                                                       गोवा मुक्ति दिवस हर साल...

उपराष्ट्रपति ने गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस की वर्षगांठ कार्यक्रम में भाग लिया

भारत के उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने आज नई...

भारत के दूरसंचार निर्यात में 72 प्रतिशत की वृद्धि

केंद्रीय संचार एवं उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने आज लोकसभा में   बताया कि पिछले पांच वर्षों में भारत के दूरसंचार निर्यात में 72% की वृद्धि हुई है, जबकि आयात पहले के स्तर पर स्थिर रहा है। ये आंकड़े दूरसंचार क्षेत्र में भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता की कहानी बयां करते हैं। एक प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय मंत्री श्री सिंधिया ने कहा कि भारत का दूरसंचार निर्यात 2020-21 में 10,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 18,406 करोड़ रुपये हो गया है, जो 72% की वृद्धि दर्शाता है, जबकि आयात लगभग 51,000 करोड़ रुपये पर स्थिर बना हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत न केवल दूरसंचार क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ रहा है, बल्कि वैश्विक नेतृत्व के लिए भी खुद को तैयार कर रहा है। पूरक प्रश्न के उत्तर में, श्री सिंधिया ने 5जी तैनाती में भारत की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि देश के 778 जिलों में से 767 जिले पहले ही 5जी नेटवर्क से जुड़ चुके हैं। उन्होंने आगे कहा कि भारत में वर्तमान में 36 करोड़ 5जी ग्राहक हैं, यह संख्या 2026 तक बढ़कर 42 करोड़ और 2030 तक 100 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है। सैटेलाइट संचार (SATCOM) के बारे में बात करते हुए केंद्रीय मंत्री श्री सिंधिया ने कहा कि विश्वव्यापी अनुभव से पता चलता है कि जिन क्षेत्रों में पारंपरिक बीटीएस या बैकहॉल या ऑप्टिकल फाइबर केबल के माध्यम से ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी संभव नहीं है, वहां केवल सैटेलाइट संचार के माध्यम से ही सेवाएं पहुंचाई जा सकती हैं। इस संदर्भ में, भारत ने यह सुनिश्चित करने के लिए निर्णायक कदम उठाया है कि SATCOM सेवाएं देश के कोने-कोने में ग्राहकों को उपलब्ध कराई जाएं। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य प्रत्येक ग्राहक को दूरसंचार सेवाओं का संपूर्ण पैकेज उपलब्ध कराना है, जिससे व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं और पसंदीदा मूल्य के आधार पर सोच-समझकर निर्णय ले सकें। केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सैटेलाइट संचार (SATCOM) नीति का ढांचा पूरी तरह से तैयार है और स्पेक्ट्रम का प्रशासनिक आवंटन किया जाना है। स्टारलिंक, वनवेब और रिलायंस को पहले ही तीन लाइसेंस जारी किए जा चुके हैं। उन्होंने आगे बताया कि ऑपरेटरों की ओर से वाणिज्यिक सेवाएं शुरू करने से पहले दो प्रमुख पहलुओं पर ध्यान देना आवश्यक है। पहला पहलू स्पेक्ट्रम आवंटन से संबंधित है, जिसमें प्रशासनिक स्पेक्ट्रम शुल्क का निर्धारण भी शामिल है, जो भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (टीआरएआई) के अधिकार क्षेत्र में आता है। टीआरएआई वर्तमान में मूल्य निर्धारण ढांचे को अंतिम रूप देने में लगा हुआ है। दूसरा पहलू प्रवर्तन एजेंसियों से सुरक्षा मंजूरी से संबंधित है। इस प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए, ऑपरेटरों को प्रदर्शन करने हेतु नमूना स्पेक्ट्रम उपलब्ध कराया गया है, और तीनों लाइसेंसधारी वर्तमान में आवश्यक अनुपालन गतिविधियों को पूरा कर रहे हैं। एक बार जब ऑपरेटर निर्धारित सुरक्षा मानदंडों का पालन करने का प्रदर्शन कर देते हैं - जिसमें भारत के भीतर अंतरराष्ट्रीय गेटवे स्थापित करने की आवश्यकता भी शामिल है - तो आवश्यक अनुमोदन प्रदान कर दिए जाएंगे, जिससे ग्राहकों को सैटकॉम सेवाएं शुरू करने में मदद मिलेगी।
en_USEnglish