आजकल तो सब कुछ मोबाइल और इंटरनेट से हो रहा है। शादी-ब्याह का न्यौता हो या कोई जरूरी खबर, बस एक क्लिक में पहुँच जाती है, लेकिन अब इसी सुविधा का फायदा उठा रहे हैं साइबर अपराधी। लोगों के भरोसे और भावनाओं को हथियार बनाकर अब वो शादी से जुड़ी पीडीएफ फाइलों के जरिए मोबाइल हैक कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से एक चेतावनी खूब घूम रही है कि किसी भी शादी से जुड़ी पीडीएफ फाइल को मत खोलना, वरना मोबाइल हैक हो जाएगा। शुरू में ये बात किसी फेक मैसेज जैसी लगती है, लेकिन असलियत में मामला काफी गंभीर है। अब अपराधी शादी का कार्ड, विवाह का निमंत्रण पत्र, हमारे विवाह में आमंत्रित हैं, जैसे भरोसेमंद नामों से पीडीएफ या लिंक भेज रहे हैं। जैसे ही कोई व्यक्ति वह फाइल खोलता है, मोबाइल में वायरस या स्पायवेयर एक्टिव हो जाता है। फिर वही वायरस मोबाइल का डेटा चुराता है, कैमरा-माइक तक पहुंच बना लेता है, बैंकिंग ऐप्स और ओटीपी तक निगल जाता है। कई बार तो पूरा मोबाइल हैंग या लॉक हो जाता है। खतरा यहीं खत्म नहीं होता। कई बार ऐसे वायरस अपने आप आपके कांटैक्ट्स को भी वही फाइल भेज देते हैं, जिससे आपके दोस्तों और रिश्तेदारों तक भी यह जाल पहुँच जाता है। अपराधी जानते हैं कि शादी का नाम सुनते ही कोई भी व्यक्ति भरोसा कर लेता है कि जरूर किसी परिचित का कार्ड होगा। इसी भरोसे का गलत फायदा उठाकर साइबर ठग मोबाइल और निजी जानकारी लूट लेते हैं।भारत में पहले भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जहाँ
सरकारी योजना, लोन अप्रूवल, लकी ड्रॉ या शादी का कार्ड के नाम पर लोगों के फोन और बैंक अकाउंट साफ़ किए गए। अब जरूरी है कि हम सब मिलकर थोड़ा सावधान रहें और दूसरों को भी सतर्क करें। अगर किसी फाइल पर शक हो तो सबसे पहले यह देखें कि भेजने वाला नंबर या ईमेल पहचान में आता है या नहीं। अनजान नंबर या मेल से आई फाइल कभी न खोलें। असली पीडीएफ फाइल का नाम हमेशा .pdf पर खत्म होता है, जबकि नकली फाइल में बीच में अजीब से निशान या कोड होते हैं। अगर किसी संदेश में लिखा है कि जल्दी खोलिए, कन्फर्म करिए, या तुरंत जवाब दीजिए तो समझ लीजिए कुछ गड़बड़ है। शादी का कार्ड देखने के लिए पासवर्ड या ओटीपी की जरूरत नहीं होती, इसलिए ऐसे किसी झांसे में न आएं। बचाव के आसान तरीके भी हैं कि मोबाइल में भरोसेमंद सिक्योरिटी ऐप रखें, ऑटो डाउनलोड फीचर बंद करें ताकि फाइल खुद न खुले, मोबाइल और ऐप्स को समय-समय पर अपडेट करते रहें। अनजान लिंक या फाइल पर क्लिक न करें, जरूरत पड़ने पर पासवर्ड बदलें और मोबाइल रीसेट करें। बैंकिंग ऐप्स को बायोमेट्रिक या लॉक से सुरक्षित रखें, और गूगल, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम जैसी जगहों पर दो-स्तरीय सुरक्षा (Two-Step Verification) जरूर लगाएं।आख़िर में यही कहा जा सकता है कि अब मोबाइल सबके हाथ में है, लेकिन साइबर समझ बहुत कम है। शादी, रिश्तेदारी या समारोह के नाम पर आने वाली फाइलें भरोसे की लगती हैं, मगर इनमें जाल भी बिछा हो सकता है। इसलिए खुद भी सतर्क रहें और अपने परिवार, दोस्तों, बच्चों-बुजुर्गों को भी समझाएं कि कोई भी अनजान फाइल या लिंक बिना जांचे न खोलें। डिजिटल दुनिया सुविधाजनक ज़रूर है, मगर सुरक्षित तभी है जब हम समझदारी और सावधानी से इसका इस्तेमाल करें। अपनों को भी बताइए सावधान रहिए, साइबर जाल से बचिए।

भूपेन्द्र शर्मा सोनू
(स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखक)


