महिला की मौत

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बिजनौर जनपद के झालू कस्बे में गुरुवार को 28 वर्षीय ललिता की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। घटना की सूचना मिलते ही हल्दौर पुलिस मौके पर पंहुची। मौके के निरीक्षण करने के बाद शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।थाना मंडावली के ग्राम राज पुर नवादा निवासी ललिता की शादी थाना हल्दौर के कस्बा झालू निवासी फूल सिंह के साथ चार वर्ष पूर्व हुई थी। बुधवार की राह कर सम मृत्य हो गई। गुरुवार की सुबह फूल सिंह के परिजनों ने देखा कि ललिता नहीं उठी और मृतक अवस्था में पड़ी है। उसकी सूचना उन्होंने अहमदाबाद में रह करके फैक्ट्री में साफ-सफाई का कार्य करने वाले अपने पुत्र फूल सिंह को दी। फूल सिंह ने महिला की मौत की सूचना उसके मायके भी दी गई। घटना स्थल पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में ले लिया। ललिता के भाई गौतम सिंह ने झालू चौकी में दी तहरीर में कहा कि मौत का कारण जानने के लिए पोस्टमार्टम कराया जाए। वही फूल सिंह ने फोन पर बताया कि ललिता की तबीयत खराब रहती थी।

मृतक ललिता का फाइल फोटो

गन्ने में बीमारी से बचाव

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बिजनौर , जिला कृषि रक्षा अधिकारी जसवीर सिंह तेवतिया ने जनपद के सभी गन्ना उत्पादक किसानों को बताया कि इस समय जनपद में गन्ने की फसल में लाल सड़न रोग का प्रकोप देखा जा रहा है। इस रोग से ग्रसित पौधों की पत्तियों पर लाल रंग के धब्बे पड़ने लगते हैं एवं पत्तियां पीली होकर सूख जाती हैं और गन्ने को बीच में से चीरने पर लाल रंग दिखाई देने लगता है। इससे एल्कोहल जैसी गंध आती है। इस रोग के नियंत्रण के लिए रोग ग्रसित पौधों को उखाड़कर गहरे गड्ढ़े में दबा दें । उखाड़े गये पौधे के स्थान पर ब्लीचिंग पाउडर का बुरकाव करें एवं एजोक्सीस्ट्रोबिन 11 प्रतिशत + टेबुकोनाजोल 18.3 प्रतिशत एस०सी० का 1 मिली०/ली० पानी की दर के हिसाब से छिड़काव करें या थायोफिनेट मिथाइल 70 प्रतिशत की 500 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें। उन्होंने यह भी बताया कि किसान अपनी फसल में कीट/ रोग समस्या के निदान के लिए कृषि विभाग में अपना पंजीकरण नम्बर अथवा अपना नाम, ग्राम का नाम, विकास खण्ड, जनपद का नाम लिखते हुए मोबाईल नम्बर 9452247111 एवं 9452257111 पर एस०एम०एस०/व्हॉटसएप के माध्यम से फोटो भेजते हुए अपनी समस्या का समाधान 48 घंटे के अन्दर पा सकते है।

नगर निकायों में बन रहे हैं पुस्तकालय

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बिजनौर , अपर जिलाधिकारी प्रशासन विनय कुमार सिंह ने बताया कि जिला की समस्त नगर निकायों में छात्र/छात्राओं एवं आम जनमानस में पठन-पाठन की रूचि विकसित किये जाने के उद्देश्य से स्थापित डिजिटल पुस्तकालयों का संचालन किया जा रहा है। जनपद की नगरीय निकाय क्षेत्रांतर्गत नौ स्थायी तथा सात अस्थायी पुस्तकालय संचालित हैं। उक्त के अनुक्रम में नगर पालिका परिषद बिजनौर, धामपुर, स्योहारा, शेरकोट, अफजलगढ, नजीबाबाद, नूरपुर, चान्दपुर व नगर पंचायत सहसपुर, झालू, साहनपुर एवं जलालाबाद द्वारा निकाय क्षेत्रान्तर्गत पुस्तकालय संचालित किये जा रहे है। निकायों द्वारा संचालित इन पुस्तकालयों में जनसामान्य एवं छात्र छात्राओं की मूलभूत सुविधाओं के दृष्टिगत पुस्तकालयों में समुचित फर्नीचर, पेयजल, सीसीटीवी० कैमरा, वाईफाई व दैनिक समाचार पत्र, प्रतियोगात्मक, साहित्यिक, काव्य, धार्मिक ग्रन्थ, स्वतत्रंता संग्राम सेनानियों के बलिदान व देश के ऐतिहासिक क्षणों एवं विभिन्न रोचक व ज्ञानवर्द्धक पुस्तकें पठन के लिए उपलब्ध करायी जा रही हैं। नगर पालिका परिषद बिजनौर में वर्ष 1925 से दुष्यंत कुमार पुस्तकालय व नगर पालिका परिषद नजीबाबाद में वर्ष 1916 से सरस्वती पुस्तकालय निकाय क्षेत्रान्तर्गत संचालित हैं। इनमें निकायों द्वारा समय-समय पर आवश्यक कार्य / सुविधाऐं उपलब्ध करायी जाती हैं। नगर पालिका परिषद स्योहारा व नगर पालिका परिषद हल्दौर में राज्य वित्त आयोग की धनराशि से, नगर पंचायत सहसपुर में 15वें वित्त आयोग की धनराशि एवं नगर पंचायत जलालाबाद में बोर्ड फण्ड की धनराशि से डिजिटल पुस्तकालयों का निर्माण कराया गया है। नगर पालिका परिषद स्योहारा एवं नगर पंचायत सहसपुर द्वारा पुस्तकालय का संचालन विगत 31 मई,2025 से प्रारम्भ कर दिया गया हैं। नगर पालिका परिषद हल्दौर एवं नगर पंचायत जलालाबाद में पुस्तकालय का निर्माण लगभग पूर्ण हो चुका हैं, इन पुस्तकालयों में संचालन भी शीघ्र ही प्रारम्भ कर दिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में मुख्यमंत्री वैश्विक नगरोदय योजनान्तर्गत नगर पालिका परिषद शेरकोट, अफजलगढ, नूरपुर व नगर पंचायत झालू, साहनपुर को डिजिटल पुस्तकालयों के निर्माण कराये जाने के लिए स्वीकृति उपरान्त शासन स्तर से धनराशि अवमुक्त की गयी है। उक्त निकायों द्वारा शासन से प्राप्त धनराशि से डिजिटल पुस्तकालयों का निर्माण माह सितंबर तक पूर्ण करा लिया जाएगा तथा निकायों में निवास करने वाले आम जनमानस एवं छात्र छात्राओं को डिजिटल पुस्तकालय की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी। मुख्यमंत्री वैश्विक नगरोदय योजना के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2025-26 की वार्षिक कार्य योजना में डिजिटल पुस्तकालयों के निर्माण के लिए नगर पालिका परिषद बिजनौर, नहटौर, किरतपुर, चान्दपुर व नगर पंचायत बढ़ापुर द्वारा स्वीकृति के लिए शासन को प्रस्ताव प्रेषित किये गये हैं। शासन से धनराशि प्राप्त होने के उपरान्त इन निकायों में भी डिजिटल पुस्तकालयों का निर्माण कार्य प्रारम्भ करा दिया जाएगा। इससे जनपद के सभी नगरीय क्षेत्र संतृप्त हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी द्वारा निर्देश दिये गये कि नगर पालिका परिषद बिजनौर व नजीबाबाद में 100 वर्ष से अधिक पुराने पुस्तकालय संचालित हो रहे हैं तथा नजीबाबाद स्थित सरस्वती पुस्तकालय में पाण्डु लिपि भी संरक्षित है, जिनको संरक्षित किया जाना नितान्त आवश्यक है। इस सम्बन्ध में पूर्व में भी रजा लाइब्रेरी रामपुर से सम्पर्क कर उक्त पुस्तकालयों में उपलब्ध पुराने धार्मिक ग्रन्थों / पुस्तकों व पाण्डु लिपियों को संरक्षित कराये जाने के सम्बन्ध में निर्देश दिये गये हैं। साथ ही यह भी निर्देशित किया गया कि जनपद की बड़ी निकायों विशेष तौर पर तहसील मुख्यालय की निकायों में वार्डवार कलस्टर बनाकर लाइब्रेरी की स्थापना करायी जाए, ताकि जनसामान्य एवं छात्र छात्राओं को नजदीक में ही लाइब्रेरी की सुविधा उपलब्ध हो सके।

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कल का मौसम 31 अगस्त

यूपी के 11 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट,दिल्ली-उत्तराखंड वाले रहें सावधान

दिल्ली, यूपी और बिहार समेत देश के कई राज्यों में भारी बारिश का कहर जारी है। इससे कई जगह बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। मौसम विभाग ने दिल्ली के कई हिस्सों और उत्तर प्रदेश के 11 से अधिक जिलों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। बिहार में बारिश से राहत मिलने की उम्मीद है, इसके बावजूद वज्रपात का खतरा बना रहेगा।

दिल्ली, यूपी, बिहार समेत देश के अधिकांश राज्यों में बारिश का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। सामान्य से अधिक बारिश होने से कई इलाकों में बाढ़ से हालात हो गए हैं। निचले इलाके से लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा रहा है। इस बीच मौसम विभाग ने एक बार फिर से कई राज्यों के लिए चेतावनी जारी की है। 

दिल्ली में कल मौसम कैसा रहेगा

दिल्ली में 31 अगस्त को भी कई इलाकों में मूसलाधार बारिश की चेतावनी जारी की है। मौसम विभाग ने कल के लिए पूर्वी दिल्ली, मध्य दिल्ली, दक्षिण पूर्वी दिल्ली और शाहदरा जैसे इलाकों के लिए बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। लोग ट्रैफिक अपडेट की जानकारी लेकर ही घर से बाहर निकलें नहीं तो मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

यूपी में कल मौसम कैसा रहेगा

उत्तर प्रदेश में कल यानी 31 अगस्त को 11 से अधिक जिलों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है। मौसम विभाग लखनऊ के मुताबिक गाजियाबाद, मथुरा, आगरा, रामपुर, बिजनौरअ,सहारनपुर, , बदायूं, बरेली, ज्योतिबाफुले नगर, पीलीभीत,मेरठ, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर में मूसलाधार बारिश से लोगों की मुश्किलें बढ़ने वाली है।

दिलचस्प,शोध है ये?

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अज्ञात है कि यह शोध किसने किया है, लेकिन यह काफी दिलचस्प है।
एडल्ट में पांच अक्षर होते हैं,और यूथ में भी।परमानेंट में नौ अक्षर होते हैं,और इसके विलोम शब्द टेंपरेरी में भी।गुड में चार अक्षर होते हैं,और एविल्व में भी।ब्लैक में पांच अक्षर होते हैं,और वाइट में भी।चर्च में छह अक्षर होते हैं,और मोसक्यू, टेंपल और मंदिर में भी।
बाइबिल,गीता में पांच अक्षर होते हैं,और कुरान में भी।लाइफ में चार अक्षर होते हैं,और डेड में भी।हेट में चार अक्षर होते हैं,और लव में भी।
एनिमीज में सात अक्षर हैं,और फ्रेंड्स में भी।लाइंग में पांच अक्षर हैं,और ट्रुथ में भी।हर्ट में चार अक्षर हैं,और हील में भी।नेगेटिव्ह में आठ अक्षर हैं,और पोजिटिव्ह में भी।फ्ल्यूयर में सात अक्षर हैं,और सक्सेस में भी।बिलोव में पांच अक्षर हैं,और अवोह में भी। क्राय में तीन अक्षर हैं,और जॉय में भी।एंग्री में पांच अक्षर हैं,और हैप्पी में भी।राइट में पांच अक्षर हैं,और रॉन्ग में भी।रिच में चार अक्षर हैं,और पुअर में भी।फेल में चार अक्षर होते हैं,और पास में भी।नॉलेज में नौ अक्षर होते हैं,इग्नोरेंसमें भी।क्या ये सब संयोग से हैं?इसका मतलब है कि ज़िंदगी एक दोधारी तलवार की तरह है और हम जो चुनाव करते हैं, वही नतीजे तय करता है।


—-दिनेश गंगराड़े, इंदौर

टैरिफ वार से अमेरिका का ही नुकसान कर रहे हैं ट्रंप

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अशोक मधुप

वरिष्ठ पत्रकार

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ को सात दिन के लिए टाल दिया है। ये एक अगस्त  से लागू होना था, जो अब सात अगस्त से लागू होगा।

ट्रम्प ने 92 देशों पर नए टैरिफ की लिस्ट जारी की है। इसमें भारत पर 25 प्रतिशत और पाकिस्तान पर 19 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया है। हालांकि, कनाडा पर एक अगस्त  से ही 35 प्रतिशत टैरिफ लागू हो गया है।

साउथ एशिया में सबसे कम टैरिफ पाकिस्तान पर लगा है। अमेरिका ने पहले पाकिस्तान पर 29 प्रतिशत टैरिफ लगा रखा था।वहीं दुनियाभर में सबसे ज्यादा 41 प्रतिशत टैरिफ सीरिया पर लगाया गया है। इस लिस्ट में चीन का नाम शामिल नहीं है।

ट्रम्प ने दो  अप्रैल को दुनियाभर के देशों पर टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, लेकिन सात  दिन बाद ही इसे 90 दिनों के लिए टाल दिया था। कुछ दिनों बाद ट्रम्प ने 31 जुलाई तक का समय दिया था।इसके बाद ट्रम्प सरकार ने 90 दिनों में 90 सौदे कराने का टारगेट रखा था। हालांकि, अमेरिका का अब तक सिर्फ सात  देशों से समझौता हो पाया।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। साथ ही रूस से तेल खरीदने के लिए अतिरिक्त जुर्माना लगाने की भी बात कही है। जानकारों का कहना है कि उनके इस कदम से भारत की ग्रोथ पर ज्यादा असर नहीं होगा। एसबीआई रिसर्च ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय एक्सपोर्ट्स पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का असर अमेरिका के लिए भारत से ज्यादा बुरा होगा। अमेरिका को कम जीडीपी, ज्यादा महंगाई और डॉलर के कमजोर होने का सामना करना पड़ सकता है। एसबीआई  रिसर्च ने इस टैरिफ को ‘बुरा बिजनेस फैसला’ बताया।

एसबीआई रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत के मुकाबले अमेरिका की डीजीपी , महंगाई और करंसी के नीचे जाने का ज्यादा रिस्क है। रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा ट्रेड वार के आर्थिक नतीजों को देखें तो यह अचरज की बात नहीं है कि अमेरिका पर भारत के मुकाबले अधिक बुरा असर पड़ेगा। रिसर्च ने बताया कि अमेरिका में फिर से महंगाई का दबाव दिखना शुरू हो गया है।

अनुमान है कि अमेरिका में महंगाई 2026 तक दो  प्रतिशत के तय टारगेट से ऊपर ही रहेगी। ऐसा टैरिफ के सप्लाई-साइड इफेक्ट्स और एक्सचेंज रेट में बदलाव की वजह से होगा। एसबीआई रिसर्च ने बताया कि शॉर्ट-टर्म में अमेरिकी टैरिफ की वजह से एक औसत अमेरिकी घर पर करीब 2,400 डॉलर का बोझ पड़ने का अनुमान है। वजह, टैरिफ से बढ़ने वाली महंगाई के कारण कीमतें बढ़ना है।

अमेरिकी अर्थशास्त्रियों ने चेताया है कि गर्मियों के मौसम तक अमेरिका की सभी सहयोगी व्यापार साझेदार देशों से मतभेदों का असर दिखने लगेगा और नियुक्तियों में कमी खतरे की घंटी है। ग्लासडूर के मुख्य अर्थशास्त्री डेनियल झाओ ने कहा कि मंदी आ नहीं रही है बल्कि आ चुकी है।अमेरिका में राष्ट्रपति ट्रंप के व्यापार एजेंडा का असर दिखने लगा है और  रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका मंदी की चपेट में आता दिख रहा है। अमेरिकी कंपनियां कर्मचारियों की नियुक्तियां घटा रही हैं। अमेरिकी श्रम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी नियोक्ताओं ने बीते महीने 73 हजार नौकरियां दीं। यह अनुमान के 1,15,000 से काफी कम हैं।मई और जून में 2,58,000 कर्मचारियों की छंटनी हुई और बेरोजगारी दर बढ़कर 4.2% हो गई । अमेरिका में बेरोजगारों की संख्या में 2,21,000 की बढ़ोतरी हुई। बीएमओ कैपिटल मार्केट्स के मुख्य अर्थशास्त्री स्कॉट एंडरसन ने कहा, ‘अमेरिकी श्रम बाजार की स्थितियों में उल्लेखनीय गिरावट आ रही है। हम टैरिफ और व्यापार युद्ध शुरू होने और अधिक प्रतिबंधात्मक आव्रजन नीति के बाद से ही अर्थव्यवस्था में मंदी का अनुमान लगा रहे थे। श्रम विभाग की रिपोर्ट श्रम बाजार के लिए एक मुश्किल हालात का सबूत है।’अमेरिकी अर्थशास्त्रियों ने चेताया है कि गर्मियों के मौसम तक अमेरिका की सभी सहयोगी व्यापार साझेदार देशों से मतभेदों का असर दिखने लगेगा और नियुक्तियों में कमी खतरे की घंटी है। ग्लासडूर के मुख्य अर्थशास्त्री डेनियल झाओ ने कहा कि मंदी आ नहीं रही है बल्कि आ चुकी है। शुक्रवार को अमेरिकी शेयर बाजार में भी गिरावट दिखाई दी। राष्ट्रपति ट्रंप ने श्रम विभाग द्वारा जारी आंकड़ों को खारिज कर दिया है। इतना ही नहीं उन्होंने श्रम विभाग की निदेशक एरिका मेकएंटरफेर को भी पद से हटाने के निर्देश दिए हैं। एरिका की नियुक्ति पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल में हुई थी। राष्ट्रपति ट्रंप ने कई देशों पर टैरिफ लगा दिए हैं। ट्रंप प्रशासन को उम्मीद है कि टैरिफ से मैन्यफैक्चरिंग सेक्टर अमेरिका में फिर से मजबूत होगा। हालांकि अर्थशास्त्रियों का मानना है कि टैरिफ का असर अमेरिकी जनता पर ही सबसे ज्यादा पड़ेगा। 

भारत और अमेरिका के बीच लगभग 130 अरब डॉलर का व्यापार होता है। अमेरिका भारत से लगभग 87 अरब डॉलर के उत्पादों का आयात करता है वहीं, भारत अमेरिका से मात्र 41.8 अरब डॉलर के उत्पादों का आयात करता है। अब अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद, यह सवाल उठ रहा है कि इसका क्या असर होगा। भारत से सबसे अधिक इलेक्ट्रॉनिक और आईटी सेक्टर में बनने वाले उत्पादों को अमेरिका भेजा जाता है। पिछले कुछ समय से भारत में बने स्मार्टफोन्स से लेकर लैपटॉप, सर्वर और टैबलेट्स की डिमांड अमेरिका में बढ़ी थी। ऐसे में सात  अगस्त से लागू होने वाले अमेरिकी टैरिफ का सबसे ज्यादा असर इसी सेक्टर पर पड़ने की संभावना है।

भारत के  11 से 13 मई 1998 में सफलतापूर्वक परमाणु परीक्षण किया । इसके बाद अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा भारत पर   अनेक प्रतिबंध लगाए गए। उस समय विशेषज्ञों की ऐसी राय थी कि   भारत अलग-थलग पड़ जाएगा और इसकी अर्थव्यवस्था प्रतिबंधों के बोझ तले दब जाएगी। इन प्रतिबंध का भारत  सफलतापूर्वक सामना कर अपने को अडिग साबित करने में कामयाब रहा।  सात साल बाद अमेरिका ने इसे एक असाधारण मामले के रूप में मानते हुए, भारत को मुख्य धारा में लाने के लिए पहला कदम उठाया, जिसकी परिणति 2005 में भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते के रूप में हुई।

भारत परमाणु परीक्षण के बाद के प्रतिबंधों में नही झुका तो अब तो उसकी हालत बहुत मजबूत है।एक कुशल  नेतृत्व  उसके पास है। अमेरिका चाहता है  कि भारत रूस से तेल न ले।भारत ने स्पष्ट कर दिया कि वह अपने हितों से कोई समझौता नही करेगा। भारत रूस से पहले की तरह तेल लेता रहेगा। इतना ही नही भारत ने अमेरिका की आंख की किरकिरी ईरान से भी  तेल खरीदने की घोषणा कर दी है। उधर अमेरिका को   इस घटनाक्रम के बाद साफ कर दिया कि वह  अमेरिका से एफ−35 लड़ाकू विमान नहीं ख़रीदेगा।

अमेरिका भारत से लगभग 87 अरब डॉलर के उत्पादों का आयात करता है। भारत ने तै किया है कि अब वह दुनिया के अन्य देशों में बाजार खोजेगा। अमेरिका से होने वाले नुकसान की भरपायी अन्य जगहों से की जाएगी।हाल ही में  एक सभा में  प्रधानमंत्री नरेंद्र मादी ने देशवासियों से स्वदेशी अपनाने की अपील ही है।यह घोषणा भी अमेरिकी टैक्स वृद्धि की घोषणा को लेकर की गई लगती है। स्वदेशी अपनाने से हमें देश के बाहर बाजार खोजने की जरूरत नही रहेगा। दूसरे अपने उत्पाद की प्रयोग होंगे तो आयातित सामान पर निर्भरता कम होगी।इतना सब होने के बावजूद हमें अपना  कंप्यूटर आपरेटिंग सिस्टम , अपना नेविगेशन सिस्टम और अपने कम्प्यूटर और मोबाइल के सोफ्टवेयर विकसित करने होंगे ताकि  दूसरे देशों के सोफ्टवेयर और आपरेटिंग सिस्टम पर निर्भरता कम हो। भारत और टैरिफ वार के शिकार देशों को डालर में खरीद −फरोख्त बंद करनी  पर होगी। भारत ने रूस और कुछ अन्य देशों के साथ अपनी मुद्रा में खरीदारी शुरू कर दी है। यदि सभी देशों द्वारा डालर का विकल्प खोजकर व्यापार शुरू किया जाता  है तो अमेरिका के लिए ये बड़ा झटका  होगा।

अशोक मधुप

( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

आम जीवन सरल बनाने में मदद कीजिए

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अशोक मधुप

वरिष्ठ  पत्रकार

सरकारों का काम आदमी के जीवन को सरल बनाना है।तकनीक के माध्यम से उसे ऐसी सुविधांए देना है कि वह परेशान न हो, किंतु भारत में हो इसके विपरीत रहा है। उन्हें अलग −अलग काम के लिए थोड़ी− थोड़ी बात के  लिए परेशान किया जा रहा है। उनके जीवन को दुरूह किया जा रहा है।

 आज सबसे  बड़ी परेशानी हैं बैंको में जाकर खाते की केवाईसी कराने की।बैंकों की केवाईसी के नाम पर बैंक खाताधारक को  परेशान किया जा रहा है।हालत यह है कि केवाईसी करानी है, इसकी उसे सूचना भी नही मिलती। उसे उसके लिए बैंक की ओर से  मैसेज भी नही आता।

मेल आनी चाहिए। किंतु ऐसा हो नही रहा। वैसे  प्रत्येक ट्रांजेक्शन के  मैसेज आते रहते हैं।  केबाईसी कराना  है, इसका   पता तब चलता है जब  खातेधारक के चैक का भुगतान रोक दिया जाता है। वह पेमेंट नही कर पाता ।भुगतान रोकने के कारण चैक जारी करने वाले पर संबधित बैक या सस्थाएं  चार सौ से आठ सौ  रूपये तक का  जुर्माना लगा देती है।मैंने पिछले साल ओरियंटल इंशोरेंस कंपनी को अपनी मेडिक्लेम पोलिसी के लिए चैक दिया। चैक बैंक गया तो भुगतान रूक गया। मैं बैंक गया।  बैंक प्रबंधक ने खाता देखकर  कहा कि  खाता आपका जारी है। चैक का भुगतान कैसे रूका पता नहीं। उनके एक स्टाफ ने देखकर बताया कि खाता  बंद किया हुआ है। बैंक प्रबंधक ने कहा कि अब सब कंप्यूटराइज है। हमें पता नही चलता और खुद जाता है। बैंक स्टाफ के पता है या नही । इससे खाताधारक को क्या लेना। मेरे से तो इंशोरेंस कंपनी ने चैक डिस ओनर होने के  छह सौ रूपये अतिरिक्त वसूल लिए।मुझे तो फालतू का छह सौ रूपये का दंड़  पड़ गया।

अभी लाकर आपरेट करने बैंक जाना पड़ा तो  बैंक स्टाफ ने  कहा कि इसकी केवाईसी कराईये। हमने कहा कि अभी  खाते की तो कराई है।उनका कहना था कि बैंक लॉकर की भी करानी है।  लाँकर बैंक के खाते से जुड़ा  है,  यह बताने पर भी बैंक कर्मी नही माने।यदि आपके पास चार−  पांच    बैंक खाते हैं तो प्रत्येक दो साल से केवाईसी कराने  जरूर जाना होगा।

अभी  तक बैंक खाते चालू रखने के लिए केवाईसी करानी थी।अब बिजली विभाग के मैसेज आ रहे हैं, कि अपने कनेक्शन की ईकेवाईसी कराईए।आज जहां चारों ओर धोखे का जाल फैला है। ठग आपको फंसाने में  लगे हैं,  ऐसे में किस मैसेज को सही माना जाए, किसे  गलत यह कैसे  पता  चले। अभी परिवहन विभाग का मैसेज आया है कि  आधार आथोराइजेशन माध्यम से अपने ड्राइविंग लाइसैंस पर अपना मोबाइल नंबर  अपडेट कराइए। समझ नही आ रहा कि क्या− क्या कराएं। हम पर ये सब करना नही आता।इसका मतलब ये की रोज जनसेवा केंद्र पर  जाइये। लाइन में लगिए और पैसा भी दीजिए। लगता है कि कहीं ये जनसेवा केंद्र की आय बढ़ाने के लिए तो  नही किया जा रहा।

अभी  पिछले दिनों आदेश आया कि अपना आधार कार्ड प्रत्येक दस साल में अपडेट कराना है।मैं छोटे शहर में रहता हूं। यहां कि आबादी  दो लाख के करीब है। पूरे शहर में आधार कार्ड अपडेट  कराने का एक ही सैंटर है। मुख्य डाकघर। उसमें आधार कार्ड बनवाने वालों की सवेरे आठ बजे से  लाइन लग जाती है।हम 75 साल से ऊपर के पति −पत्नी कैसे उस लाइन में लगें , ये कोई  सोचने  और बताने वाला नही है। दूसरे केंद्र का  दरवाजा खुलने  पर इस तरह धक्का−मुक्की होती है कि हम लाइन में  लगे तो  हाथ − पांव तुड़ाकर जरूर  अस्पताल जांएगे।

केद्र सरकार /  रिजर्व बैंक को आदेश करना चाहिए कि बैंक अपने यहां अतिरिक्त स्टाफ रखे।  उसक कार्य सिर्फ  खातेधारकों से समय लेकर उनके खातों की केवाईसे कराना  हो।सरकार जिस तरह वोट बनवाती है। वोटर का वेरिफिकेशन कराती है।  उसी तह से केवाईसी कराई जाए।इसके बैंक खाता धारकों को सुविधा होगी।केवाईसी कराने के लिए रखे  जाने वाले युवाओं को रोजगार मिलेगा।यही काम  राज्य की बिजली कंपनी कर सकती हैं।  विभागीय मीटर रीडर माह में एक बार रीडिंग लेने उपभोक्ता के घर जाते हैं। वे ही उपभोक्ता से केवाईसी के पेपर लेले।मीटर रीडर को उपभोक्ता जानते हैं उन्हें पेपर देते किसी उपभोक्ता  को परेशानी भी नही होगी।मीटर रीडर आफिस आकर इस कार्य में लगे स्टाफ को पेपर देकर केवाईसी कराए।हो  यह रहा है कि संबधित विभाग बैंक/ बिजली अपना कार्य उपभोक्ता पर डाल उसके जीवन को कठिन बना रहे  हैं,  जबकि उन्हे अपने ग्राहकों को सुविधांए   देनी चाहिए थीं। ऐसा  ही आधार कार्ड  अपडेट कराने के लिए व्यवस्था की जानी चाहिए। हां इसके लिए उपभोक्ता से थोड़ा  बहुत चार्ज लिया जा सकता है।अभी  एक मैसेज आया कि आपका इन्कमटैक्स का रिटर्न स्वीकार कर लिया गया है। मैंने अभी रिटर्न भरा नही, सो    ये मैसेज बेटे को भेज दिया  कि शायद उसने  रिटर्न भरा हो ।  उसका जबाब आया कि पापा इस मैसेज के लिंक पर क्लिक मत करना । ये गलत लगता है। 

आज सबसे  बड़ी समस्या  है कि सही और गलत का कैसे तै हो।किसी न किसी तरह धोखे में लेकर रोज हजारों व्यक्ति रोज ठगे जा रहे हैं।इससे  कैसे बचा जाए?ऐसे   हालात में  जीवन दुरूह होता  जा रहा है। केंद्र और राज्य सरकारों को  आम आदमी का जीवन को सरल बनाने के लिए काम करना  चाहिए।

अशोक मधुप

(लेखक  वरिष्ठ  पत्रकार हैं) 

क्या टेलरिंग शॉप और सैलून में पुरुषों पर रोक से महिलाएँ सुरक्षित हो पायेगी?

लिंग भेद का अर्थ है कि महिलाओं को निरंतर सुरक्षा की आवश्यकता होती है, जिससे उनकी एजेंसी और व्यावसायिकता कमज़ोर होती है। पुरुष दर्जियों को महिलाओं के माप लेने से रोकना सुरक्षा के लिए महिलाओं की निर्भरता की धारणा को मज़बूत करता है। ऐसी नीतियाँ पुरुषों को संभावित खतरे के रूप में सामान्यीकृत करती हैं, अविश्वास पैदा करती हैं और कार्यस्थल की गतिशीलता को नुक़सान पहुँचाती हैं। उत्पीड़न को सम्बोधित करने के बजाय अलगाव रूढ़िवादिता को मज़बूत करता है विश्लेषण करें कि लिंग के आधार पर व्यवसायों का अलगाव उत्पीड़न के अंतर्निहित मुद्दों को सम्बोधित करने के बजाय रूढ़िवादिता को कैसे मज़बूत करता है। यद्यपि अक्सर उत्पीड़न के खिलाफ निवारक उपाय के रूप में लिंग के आधार पर व्यवसायों का अलगाव प्रस्तावित किया जाता है, लेकिन इससे रूढ़िवादिता और लिंग आधारित भूमिकाओं को मज़बूत करने का जोखिम होता है। हाल के नियम, जैसे कि टेलरिंग शॉप और यूनिसेक्स सैलून में लिंग-विशिष्ट स्टाफिंग, उत्पीड़न के मूल कारणों, जैसे कि सामाजिक दृष्टिकोण, असमानता और जागरूकता की कमी को सम्बोधित करने में विफल रहे हैं। लैंगिक समानता और सुरक्षा प्राप्त करने के लिए प्रणालीगत परिवर्तनों पर केंद्रित एक अधिक समग्र दृष्टिकोण आवश्यक है।

-प्रियंका सौरभ

सामाजिक मान्यताएँ अक्सर महिलाओं को कमज़ोर और पुरुषों को आक्रामक के रूप में चित्रित करती हैं, जो असमान लिंग गतिशीलता को बढ़ावा देती हैं जो उत्पीड़न को बनाए रखती हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ हेल्थ द्वारा किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि कार्यस्थल पर उत्पीड़न महिलाओं को असंगत रूप से प्रभावित करता है क्योंकि पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण जड़ जमाए हुए हैं। नियोक्ताओं और कर्मचारियों सहित कई लोगों को कार्यस्थल पर उत्पीड़न कानूनों के बारे में जानकारी नहीं है, जिसके कारण अनियंत्रित कदाचार होता है। केवल 35% भारतीय महिला कर्मचारी ही यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम, 2013 के बारे में जानती हैं। कानूनों का अकुशल क्रियान्वयन और जवाबदेही की कमी उत्पीड़कों को बढ़ावा देती है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए आवंटित निर्भया फंड (2013) खराब प्रशासन के कारण कम उपयोग में आता है। कुछ व्यवसायों में महिलाओं का कम प्रतिनिधित्व पुरुष-प्रधान वातावरण बनाता है, जिसमें सत्ता का दुरुपयोग होने की संभावना होती है। आर्थिक सर्वेक्षण 2023-2024 के अनुसार, महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर में वृद्धि हुई है, लेकिन यह लगभग 37% पर बनी हुई है। न्याय, पीड़ित को दोषी ठहराने या प्रतिशोध का डर पीड़ितों को उत्पीड़न की रिपोर्ट करने से हतोत्साहित करता है, जिससे चुप्पी की संस्कृति बनी रहती है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, यौन उत्पीड़न सहित महिलाओं के खिलाफ अपराध, नतीजों के डर, अपर्याप्त जागरूकता और सामाजिक पूर्वाग्रहों के कारण बहुत कम रिपोर्ट किए जाते हैं।

लिंग भेद का अर्थ है कि महिलाओं को निरंतर सुरक्षा की आवश्यकता होती है, जिससे उनकी एजेंसी और व्यावसायिकता कमज़ोर होती है। पुरुष दर्जियों को महिलाओं के माप लेने से रोकना सुरक्षा के लिए महिलाओं की निर्भरता की धारणा को मज़बूत करता है। ऐसी नीतियाँ पुरुषों को संभावित खतरे के रूप में सामान्यीकृत करती हैं, अविश्वास पैदा करती हैं और कार्यस्थल की गतिशीलता को नुक़सान पहुँचाती हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि समावेशी कार्य वातावरण लिंगों के बीच अधिक सम्मान और सहयोग को बढ़ावा देते हैं। अलगाव असमान अवसरों को बनाए रखता है, एक लिंग के वर्चस्व वाले व्यवसायों में भागीदारी को प्रतिबंधित करता है। भारत के सशस्त्र बलों ने ऐतिहासिक रूप से महिलाओं को लड़ाकू भूमिकाओं से प्रतिबंधित किया है, जो पेशेवर अवसरों पर अलगाव के प्रभाव को दर्शाता है। एनडीए प्रेरण जैसे सुधार प्रगति को दर्शाते हैं, लेकिन पूर्वाग्रह बने रहते हैं। सामाजिक दृष्टिकोण को सम्बोधित करने के बजाय, अलगाव लक्षणों को लक्षित करता है जबकि शक्ति असंतुलन और खराब शिक्षा जैसे मूल कारणों को अछूता छोड़ देता है। राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो रिपोर्ट (2023) ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आईपीसी के तहत महिलाओं के खिलाफ अपराधों का एक महत्त्वपूर्ण अनुपात ‘पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता’ से जुड़ा था। अलगाव पुरुष पेशेवरों के लिए ग्राहक आधार को कम करता है, जो निम्न-आय वर्ग के लोगों को असमान रूप से प्रभावित करता है। छोटे शहरों या गांवों में जहाँ यूनिसेक्स सैलून उपलब्ध नहीं हो सकते हैं, ऐसी प्रथाओं से पुरुष नाइयों के लिए नौकरी के अवसर कम हो सकते हैं।

उत्पीड़न की जड़ से निपटने के लिए सम्मान, सहमति और कार्यस्थल नैतिकता पर ध्यान केंद्रित करते हुए व्यापक जागरूकता अभियान चलाएँ। पॉश अधिनियम, 2013 प्रशिक्षण सत्रों को अनिवार्य बनाता है, जिसे टेलरिंग और सैलून जैसे अनौपचारिक क्षेत्रों में विस्तारित किया जाना चाहिए। आपसी समझ विकसित करने और रूढ़िवादिता को कम करने के लिए व्यवसायों में मिश्रित-लिंग स्टाफिंग को बढ़ावा दें। संयुक्त राष्ट्र महिला के ही फॉर शी अभियान जैसी पहल पुरुषों और महिलाओं को विविध सेटिंग्स में समान रूप से सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित करती है। उत्पीड़न विरोधी कानूनों के सख्त कार्यान्वयन को सुनिश्चित करें और शिकायत समाधान के लिए मज़बूत तंत्र बनाएँ। अनौपचारिक क्षेत्रों में आंतरिक शिकायत समितियों का विस्तार करने से कमजोर श्रमिकों की रक्षा हो सकती है। निगरानी के बजाय, निजी फिटिंग रूम और ग्राहक-अनुकूल लेआउट जैसे सुरक्षित बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता दें। प्रतिबंधात्मक विनियमों से प्रभावित पेशेवरों को वित्तीय और प्रशिक्षण सहायता प्रदान करें, जिससे उनकी आजीविका सुरक्षित रहे। राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम, 2013) के तहत सरकार द्वारा वित्तपोषित कौशल संवर्धन कार्यक्रम नाई और दर्जी को अपने ग्राहकों में विविधता लाने में मदद कर सकते हैं। लिंग के आधार पर व्यवसायों का पृथक्करण एक सतही प्रतिक्रिया है जो रूढ़िवादिता को मज़बूत करती है जबकि उत्पीड़न के प्रणालीगत मुद्दों को सम्बोधित करने में विफल रहती है। समावेशी कार्यस्थलों को बढ़ावा देकर, कानूनी सुरक्षा को मज़बूत करके और व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देकर, भारत समानता और सम्मान में निहित समाज का निर्माण कर सकता है। ही फॉर शी अभियान जैसी वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं से प्रेरणा लेते हुए, भारत को ऐसे भविष्य के लिए प्रयास करना चाहिए जहाँ सुरक्षा और सम्मान अंतर्निहित हो, न कि लागू किया जाए।

-प्रियंका सौरभ 

रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,

कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार

एक परिवार के अधूरे सपनों का सच

—डॉ. प्रियंका सौरभ

28 अगस्त 2014, भारतीय पुलिस सेवा के इतिहास का एक ऐसा दिन था जिसने हर संवेदनशील नागरिक के हृदय को झकझोर कर रख दिया। इसी दिन देश ने एक होनहार, मेधावी और जांबाज़ अधिकारी आईपीएस मनुमुक्त मानव को खो दिया। मात्र 31 वर्ष नाै माह की अल्पायु में, नेशनल पुलिस अकादमी हैदराबाद, तेलंगाना में उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु ने न केवल उनके परिवार को बल्कि पूरे राष्ट्र को हतप्रभ कर दिया। यह कोई सामान्य घटना नहीं थी, बल्कि भारतीय पुलिस सेवा जैसी प्रतिष्ठित संस्था के इतिहास में घटित होने वाली सबसे बड़ी और विचलित कर देने वाली दुर्घटना थी। प्रश्न यह उठता है कि आखिर ऐसी सर्वोच्च सुरक्षा व्यवस्था के बीच एक अधिकारी इस तरह कैसे मौत का शिकार हो सकता है और क्यों अब तक इस रहस्य से पर्दा नहीं उठाया गया।

मनुमुक्त मानव की असामयिक मृत्यु के बाद आधी रात को उनका शव नेशनल पुलिस अकादमी के स्विमिंग पूल से बरामद हुआ। यह तथ्य अपने आप में सैकड़ों सवाल खड़े करता है। क्या यह एक हादसा था या कुछ और? जब उनके शव के पास ही ऑफिसर्स क्लब में विदाई पार्टी चल रही थी, तो वहां मौजूद लोगों ने कुछ देखा या सुना क्यों नहीं? पुलिस अकादमी जैसी सख्त अनुशासन वाली संस्था में यह घटना कैसे घटित हुई और क्यों इसकी निष्पक्ष और पारदर्शी जांच आज तक नहीं हो पाई? घटना को अब बारह साल बीत चुके हैं, परंतु सच्चाई आज भी अंधेरे में दफन है। यही स्थिति पूरे पुलिस तंत्र और न्याय व्यवस्था पर गहरा प्रश्नचिह्न खड़ा करती है।

मनुमुक्त मानव किसी साधारण अधिकारी का नाम नहीं था। वे 2012 बैच के आईपीएस अधिकारी थे और हिमाचल कैडर से जुड़े थे। उनका जन्म 23 नवंबर 1983 को हरियाणा के हिसार में हुआ। पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले इस युवा अधिकारी ने कम उम्र में ही असाधारण उपलब्धियाँ अर्जित कर ली थीं। एनसीसी का सी सर्टिफिकेट प्राप्त करना, छात्र जीवन से ही अनुशासन और नेतृत्व क्षमता का परिचय देना और प्रतिभा के दम पर आईपीएस तक पहुँचना उनके उज्ज्वल भविष्य का संकेत था। वे केवल एक अधिकारी ही नहीं बल्कि चिंतक, कलाकार और फोटोग्राफर भी थे। उनकी सेल्फ़ी लेने की कला और रचनात्मक दृष्टिकोण ने उन्हें उनके दोस्तों और सहकर्मियों के बीच विशेष पहचान दिलाई।

मनुमुक्त मानव के सपने बेहद बड़े और दूरगामी थे। वे अपने गाँव तिभरा में अपने दादा-दादी की स्मृति में एक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित करना चाहते थे। इसके अतिरिक्त वे नारनौल में एक सिविल सर्विस अकादमी बनाने का विचार रखते थे ताकि गाँव और कस्बों से निकलने वाले युवाओं को भी सिविल सेवा की तैयारी का अवसर मिल सके। समाज सेवा के लिए उनके भीतर गहरी संवेदनशीलता और बड़ा दृष्टिकोण था। वे केवल अपने कैरियर और पद की ऊँचाइयों के बारे में नहीं सोचते थे बल्कि समाज को लौटाने के लिए लगातार योजनाएँ बनाते रहते थे। मगर उनकी असामयिक और संदिग्ध मृत्यु ने उन सभी सपनों को अधूरा छोड़ दिया।

एकमात्र बेटे की असामयिक मृत्यु ने उनके माता-पिता को गहरे शोक में डुबो दिया। उनके पिता डॉ. रामनिवास मानव देश के प्रसिद्ध साहित्यकार और शिक्षाविद् हैं, जबकि माँ डॉ. कांता अर्थशास्त्र की प्राध्यापिका रही हैं। किसी भी माता-पिता के लिए यह सबसे बड़ा दुःख है कि वे अपने जवान बेटे को खो दें। इस तरह का वज्रपात सामान्य परिवारों को तोड़ देता है, लेकिन मानव दंपति ने अद्भुत धैर्य और साहस का परिचय दिया। उन्होंने अपने बेटे की स्मृतियों को सहेजने और उन्हें जीवंत बनाए रखने का संकल्प लिया। यही कारण है कि उन्होंने अपने जीवन की संपूर्ण जमापूंजी लगाकर मनुमुक्त मानव मेमोरियल ट्रस्ट का गठन किया और नारनौल, हरियाणा में मनुमुक्त भवन का निर्माण किया।

यह भवन केवल एक स्मारक नहीं बल्कि जीवंत सांस्कृतिक केंद्र है। इसमें लघु सभागार, संग्रहालय और पुस्तकालय स्थापित किए गए हैं। हर साल इस भवन से मनुमुक्त मानव की स्मृति में कई पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं जिनमें अढ़ाई लाख का अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार, एक लाख का राष्ट्रीय पुरस्कार, इक्कीस-इक्कीस हज़ार के दो और ग्यारह-ग्यारह हज़ार के तीन पुरस्कार शामिल हैं। इन पुरस्कारों के माध्यम से युवा प्रतिभाओं, साहित्यकारों और समाजसेवियों को सम्मानित किया जाता है। अब तक एक दर्जन से अधिक देशों के लगभग तीन सौ से अधिक विद्वान, कलाकार और लेखक यहाँ आकर भागीदारी कर चुके हैं। मात्र ढाई वर्षों की अवधि में ही मनुमुक्त भवन अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित हो चुका है।

इस स्मारक और ट्रस्ट के माध्यम से मनुमुक्त मानव की स्मृतियाँ न केवल जीवंत रखी गई हैं बल्कि उनके अधूरे सपनों को साकार करने का प्रयास भी किया जा रहा है। इस कार्य में उनकी बहन डॉ. एस. अनुकृति, जो विश्व बैंक वाशिंगटन में अर्थशास्त्री हैं, लगातार सहयोग करती रहती हैं। इस प्रकार एक परिवार ने व्यक्तिगत त्रासदी को सामाजिक चेतना में बदलने का प्रयास किया है।

फिर भी सवाल वहीं खड़ा है कि मनुमुक्त मानव की मृत्यु का रहस्य क्यों नहीं खोला गया। जब भारतीय पुलिस सेवा जैसी उच्च संस्था में इस प्रकार की घटना होती है और उसकी जांच ठंडे बस्ते में डाल दी जाती है, तो यह केवल एक परिवार के साथ अन्याय नहीं बल्कि पूरी व्यवस्था पर धब्बा है। यह घटना विश्वभर में भारत की छवि पर भी प्रश्नचिह्न बनकर खड़ी होती है। आखिर जब एक प्रशिक्षु आईपीएस अधिकारी की सुरक्षा की गारंटी सर्वोच्च अकादमी नहीं दे पाती तो देश के सामान्य नागरिकों की सुरक्षा पर कैसे भरोसा किया जा सकता है?

अब समय आ गया है कि भारत सरकार और गृह मंत्रालय इस मामले को गंभीरता से लें। केवल औपचारिकता निभाने से काम नहीं चलेगा। आवश्यक है कि इस मामले की सीबीआई से स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कराई जाए। सच्चाई को सामने लाना केवल मनुमुक्त मानव को न्याय देने का प्रश्न नहीं है बल्कि यह पूरे पुलिस तंत्र की विश्वसनीयता और पारदर्शिता से जुड़ा हुआ है। न्याय में देरी किसी भी सूरत में उचित नहीं मानी जाती। अगर आज इस मामले पर चुप्पी साध ली गई तो यह अन्य अनेक मामलों के लिए भी खतरनाक उदाहरण साबित होगा।

मनुमुक्त मानव केवल एक नाम नहीं थे। वे युवाशक्ति, आदर्श और प्रेरणा के प्रतीक थे। उनकी मृत्यु ने हम सबको यह सोचने पर मजबूर किया है कि हमारे युवा अधिकारी कितनी असुरक्षित परिस्थितियों में कार्य कर रहे हैं। अगर ऐसे अधिकारियों को न्याय नहीं मिलेगा तो आने वाली पीढ़ियाँ हतोत्साहित होंगी। इसीलिए आवश्यक है कि मनुमुक्त मानव के मामले की सच्चाई सामने आए, दोषियों को सज़ा मिले और देश का हर युवा अधिकारी निडर होकर सेवा कर सके।

समाप्त करते हुए यही कहा जा सकता है कि न्याय की राह भले कठिन हो, लेकिन उसे टालना किसी भी लोकतंत्र के लिए घातक है। मनुमुक्त मानव की स्मृतियाँ आज भी हमारे बीच जीवित हैं। उनके सपने अधूरे हैं परंतु उनकी प्रेरणा अमर है। उनकी स्मृति में निर्मित भवन और पुरस्कार हमें यह संदेश देते हैं कि सत्य और न्याय के लिए संघर्ष कभी व्यर्थ नहीं जाता। अब समय आ गया है कि सरकार इस मामले में सक्रियता दिखाए और इस अधिकारी को न्याय दिलाए। मनुमुक्त मानव केवल एक परिवार के बेटे नहीं, बल्कि इस देश की आशाओं और आकांक्षाओं के प्रतीक थे। उन्हें न्याय दिलाना हम सबका दायित्व है।

गणेश की पाषाण की चमत्कारी मूर्ति

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इंदौर के चोली ग्राम प्राचीन मंदिरों का गढ़ होने से यह देवगढ़ चोली के नाम से भी जाना जाता है। यहां सिद्धेश्वर षडानन गणेश मंदिर में 11 फीट ऊंची नृत्य मुद्रा में भगवान गणेश जी विराजमान हैं जो एक ही विशाल पत्थर से निर्मित है। देवगढ़ चोली में सदैव धार्मिक आयोजन होते रहते हैं। यहां गौरी सोमनाथ मंदिर हैं जहां प्रदेश में दूसरे नंबर का करीब आठ फीट ऊंचा शिवलिंग स्थापित है। गणेश मूर्ति व शिवलिंग अतिप्राचीन व दुर्लभ है जो अन्यत्र कहीं नहीं है। इनके अलावा इन प्राचीन मंदिरों पर नक्काशी व अन्य देवताओं की मूर्तियां भी है। शिवलिंग के सामने विशाल पत्थर को तराशकर नंदी बनाया है। सामने सुंदर तालाब व दो बावड़ियां भी है। परमार कालीन निर्माण व अवशेष चिन्ह सौ साल से अधिक समय से मिलते रहें हैं। मंदिरों की श्रृंखला में : ओंकारेश्वर मंदिर, चौंसठ योगीनी मंदिर, बावन भैरव मंदिर (जागृत मूर्ति), राधाविनोद बिहारी मंदिर जिसमें ललिता जी साथ है,पाताल भैरवी मंदिर , साढ़े ग्यारह हनुमान मंदिर भी चोली में स्थापित हैं इनमें कुछ पुरानी सदी के व महाभारत कालीन हैं ऐसी किंवदंतियां है। बुजुर्ग लोग बताते कि यहां स्थित मंदिर व मुर्तियां देवताओं द्वारा बनाई सी प्रतीत होती है।
निश्चित यहां के मंदिर चमत्कारी हैं।

यहां पर पास में महेश्वर, मांडव, धार ऐतिहासिक स्थल होने से पर्यटक वर्षभर यहां पर आते रहते हैं। अनेक विधायक, सांसद, मंत्रियों व विशिष्ट ख्यातनामी हस्तियों का प्राचीन गणेश मंदिर पर दर्शन करने, आशीर्वाद लेने आना होता हैं, चुनाव के समय, मंत्री, विधायक, सांसद बनने पर, मनोकामना पूर्ण होने पर ये श्रद्धालु व गणेश भक्त अवश्य आते ही हैं।