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अजमेर जिला सिविल न्यायाधीश मनमोहन चंदेल ने अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह में सभी वांछित स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया है। आदेश में ये भी कहा है कि जो लोग इसका विरोध कर रहे हो उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही अमल में लायी जाए ।
पिछले दिनों केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाली दरगाह कमेटी ने प्रयास किए थे कि दरगाह के अंदर जायरीन की भीड़ वाले सभी स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाए, लेकिन तब दरगाह के खादिमों ने आस्ताना सहित कई स्थानों पर कैमरे लगाने का विरोध किया। लेकिन अब खादिमों के आपसी विवाद के एक मामले में सिविल न्यायाधीश मनमोहन चंदेल ने दरगाह के अंदर जरूरी स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश दिए हैं।सिविल न्यायाधीश मनमोहन चंदेल के इस आदेश की सराहना की जा रही है।अदालत ने यह भी कहा है कि यदि कोई व्यक्ति कैमरे लगाने का विरोध करता है तो उसके विरुद्ध सख्त कानूनी कार्यवाही की जाए।
ज्ञातव्य है कि दरगाह के खादिम शेखजादा नदीम अहमद चिश्ती, खलिक अहमद चिश्ती, नईम अहमद चिश्ती और शेख असरार अहमद चिश्ती ने एक वाद अपने साथी खादिम सैयद शब्बीर अली चिश्ती के खिलाफ दायर किया। इस वाद में शब्बीर अली पर उनके हकों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। इस प्रकरण में जब सिविल न्यायाधीश मनमोहन चंदेल ने पुलिस से दरगाह के अंदर का रिकॉर्ड तलब किया तो पुलिस ने असमर्थता प्रकट की।पुलिस का कहना था कि दरगाह के अंदर खास कर आस्ताना (मजार शरीफ) का कोई रिकॉर्ड नहीं रहता। यह खादिमों का आपसी मामला है। इसी प्रकरण में दरगाह कमेटी के नाजिम मोहम्मद बिलाल खान ने एक प्रार्थना पत्र में कहा कि दरगाह कमेटी सभी वांछित स्थानों पर सीसीटीवी लगाना चाहती है, लेकिन कुछ लोगों के विरोध के कारण कैमरे नहीं लग पा रहे हैं।
हालांकि शेखजादा नदीम अहमद चिश्ती ने दरगाह के अंदर कैमरे लगाने की मांग नहीं की थी, लेकिन कोर्ट ने मामले की गंभीरता और सीसीटीवी की उपयोगिता को देखते हुए दरगाह के अंदर वांछित स्थानों पर कैमरे लगाने का आदेश दिया। दरगाह में मौजूदा समय में करीब 75 प्रतिशत स्थानों पर कैमरे हैं, लेकिन अस्थाना सहित 25 प्रतिशत स्थान ऐसे हैं, जहां खादिम समुदाय सीसीटीवी लगाने का विरोध करता है। अदालत के इस फैसले से दरगाह कमेटी भी सीसीटीवी लगाने में मदद मिलेगी।
यहां यह उल्लेखनीय है कि सिविल न्यायाधीश मनमोहन चंदेल ने ही गत वर्ष ख्वाजा साहब की दरगाह में शिव मंदिर होने वाली याचिका को भी मंजूर किया था। इस याचिका पर केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय, पुरातत्व विभाग आदि को नोटिस जारी किए गए हैं।