
केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी किशन रेड्डी ने बुधवार को जयपुर में आयोजित प्रवासी राजस्थानी दिवस समारोह में सभी प्रवासी भारतीयों को हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि घर से दूर रहते हुए भी भारतीय प्रवासी भारत की आत्मा से गहराई से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय प्रवासी केवल धन प्रेषण तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि वे निवेश, नवाचार और नए अवसर भी लाते हैं। प्रवासी भारतीयों को ‘राष्ट्रदूत’ कहे जाने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बात का उल्लेख करते हुए श्री रेड्डी ने कहा कि वे भारत की छवि, मूल्यों और क्षमता को विश्व के हर कोने तक पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान ही नहीं, बल्कि पूरे देश की खनन क्षमता को अंतरराष्ट्रीय मानकों तक पहुंचाने में प्रवासी भारतीयों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
राजस्थान के विशाल प्राकृतिक संसाधनों पर प्रकाश डालते हुए श्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि यह राज्य न केवल देश की सांस्कृतिक विरासत का रत्न है, बल्कि खनन विरासत का भी खजाना है। उन्होंने बताया कि राजस्थान प्राचीन काल से ही खनिज निष्कर्षण और खनन प्रौद्योगिकी में अग्रणी रहा है। उन्होंने कहा कि आज भी राजस्थान भारत की खनिज सुरक्षा की रीढ़ है। यह राज्य संगमरमर, ग्रेनाइट, बलुआ पत्थर और स्लेट का प्रमुख उत्पादक और निर्यातक है।

श्री रेड्डी ने कहा कि भारत का खनन क्षेत्र आज सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद के सिद्धांतों पर आधारित है, जो इसकी विकास क्षमता और देश की खनिज सुरक्षा का आधार हैं। उन्होंने कहा कि इसी ढांचे के कारण देश प्रत्येक राज्य की वास्तविक क्षमता का दोहन कर पाता है। श्री रेड्डी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में खनन क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार हुए हैं, जिनमें पारदर्शी नीलामी प्रणाली की शुरुआत, निजी क्षेत्र की अधिक भागीदारी, अन्वेषण में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति और व्यापार करने में सुगमता (ईज ऑफ डूइंग) में महत्वपूर्ण सुधार शामिल हैं।
श्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि नए निवेश और आधुनिक तकनीकों को अपनाने से देश के खनन क्षेत्र में महत्वपूर्ण अवसर खुल रहे हैं। उन्होंने 34,300 करोड़ रुपये के परिव्यय वाली राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज परियोजना पर प्रकाश डाला, जिसका उद्देश्य देश को महत्वपूर्ण खनिजों में आत्मनिर्भर बनाना है। पहली बार अन्वेषण लाइसेंसों की नीलामी की गई है। उन्होंने कहा कि सात ब्लॉकों की सफल नीलामी के साथ, इस पहल से निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ने और देश में अन्वेषण प्रयासों में तेजी आने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि सरकार की शुरू की गई 1,500 करोड़ रुपये की पुनर्चक्रण योजना का उद्देश्य 2030 तक लगभग 3 लाख टन की वार्षिक क्षमता का सृजन करना और प्रतिवर्ष लगभग 40,000 टन महत्वपूर्ण खनिजों की पुनर्प्राप्ति सुनिश्चित करना है।
श्री जी. किशन रेड्डी ने यह भी कहा कि हाल के वर्षों में भारत के कोयला क्षेत्र में पूर्ण परिवर्तन आया है। उन्होंने बताया कि वाणिज्यिक कोयला खनन में निजी क्षेत्र की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे उत्पादन में वृद्धि, कड़ी प्रतिस्पर्धा और परिचालन दक्षता में सुधार हुआ है। श्री रेड्डी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कोयला गैसीकरण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जिससे निवेश के व्यापक अवसर खुल रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि देश में पहली बार भूमिगत कोयला गैसीकरण ब्लॉकों की नीलामी की गई है।


