फास्ट फूड का नकारात्मक प्रभाव!

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पश्चिमी देशों की तरह हमारे मुल्क में भी जंक और फास्ट फूड का चलन तेजी से बढ़ रहा है। इसे हासिल करने में जितने लाभ और सुविधाएँ तलाश की जा रही हैं, उससे ज्यादा इसके नुकसान सामने आ रहे हैं। इंसान रोजाना जो कुछ खाता पीता है, उसका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है। स्वस्थ रहने के लिए अच्छा पोषण और नियमित व्यायाम जरूरी है। इसके विपरीत फास्ट फूड और जंक फूड का ज्यादा सेवन स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। खास ही नही, अब आम घरों में भी खाना बनाने का रिवाज कम होता जा रहा है। फास्ट फूड ऐसा भोजन है जो जल्दी तैयार हो जाता है और होटलों व रेस्टोरेंटों में कम समय में आसानी से सुलभ हो जाता है। मॉल, कंफेक्शनरी व किराना स्टोरों में मिलने वाले फास्ट फूड और डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों की बिक्री में दिन प्रतिदिन हो रही वृद्धि इस बात का प्रमाण है कि मौजूदा नस्ल की घरों में भोजन बनाने में दिलचस्पी नहीं है। हालाँकि घर पर तैयार भोजन की अपेक्षा इन खानों में पौष्टिकता कम होती है और ये महंगे भी होते हैं, फिर भी लोगों का रुझान इसी ओर बढ़ रहा है। युवा पीढ़ी तो फास्ट फूड की दीवानी है ही, बुजुर्गों व बच्चों में भी घर बैठे ऑनलाइन खाना मंगवाना आधुनिकता की शान और सामाजिक प्रगति की पहचान समझा जा रहा है। अधिकतर लोग फास्ट फूड के नुकसान और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले इसके नकारात्मक प्रभावों से अनजान हैं। दफ्तर से वापसी या देर से घर लौटने, थकान होने या खाना बनाने को मन नहीं करने का बहाना बनाकर फास्ट फूड मंगाने को आसान विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। जंक फूड का ज्यादा इस्तेमाल जहां स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, वहीं बीमारियों का सबब भी बन रहा है।
दरअसल, फास्ट फूड कम पोषक तत्व वाला वह भोजन है, जो जल्दी तैयार हो जाता है, जबकि जंक फूड खासतौर पर अत्यधिक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ होते हैं। इनमें चीनी, वसा, सोडियम और कृत्रिम तत्व अधिक होते हैं। इस बिना पर हर जंक फूड फास्ट फूड हो सकता है, लेकिन हर फास्ट फूड जंक फूड नहीं होता। बर्गर जैसे फास्ट फूड की शुरुआत 18वीं शताब्दी में अमेरिका से हुई थी। आरंभ में लोग खराब स्वाद के कारण इसे पसंद नहीं करते थे, लेकिन समय बीतने के साथ लोगों का ध्यान बर्गर और इसके विभिन्न रूपों की ओर जाने लगा। आज दुनिया भर में मैक्डॉनल्ड्स, स्टारबक्स, मिक्स आइसक्रीम एंड टी, सबवे, केएफसी और डोमिनोज पिज्जा, बर्गर किंग, लकन कॉफी, पिज्जा हट, क्रिप्सी क्रीमे, जॉली बी और डंकिन डोनट्स डंकिन आदि ब्रांड के फास्ट फूड उपलब्ध हैं। फास्ट फूड में अमेरिका का वार्षिक राजस्व करीब 7,01,598 करोड़ रुपये, ब्रिटेन का 1,44,257 करोड़, फ्रांस का 1,78,888 करोड़, मेक्सिको का 1,76,647 करोड़, दक्षिण कोरिया का 1,10,373 करोड़, चीन का 1,47,440 करोड़ और इटली का 1,62,685 करोड़ रुपये है। स्वीडन, ऑस्ट्रिया, ग्रीस और नॉर्वे भी फास्ट फूड के बड़े बाजार हैं। भारत में यह कारोबार 7,14,584 करोड़ रुपये से अधिक का है। द लांसेट की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2006 में हमारे देश में ऐसे खाद्य पदार्थों की बिक्री 0.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर (80,66,17,35,000 रुपये) थी, जो 2019 में बढ़कर 38 बिलियन अमेरिकी डॉलर (34,05,71,77,00,000 रुपये) हो गई है। फास्ट फूड के सेवन से पुरुषों और महिलाओं में मोटापा दोगुना हो गया है। पुरुषों में मोटापे की दर जहां 12 से 23 प्रतिशत हो गई, वहीं महिलाओं में यह दर 15 से 24 प्रतिशत तक बढ़ गई। ऐसे खाद्य एवं पेय पदार्थों में विटामिन, खनिज और फाइबर जैसे पोषक तत्वों की कमी होती है। फास्ट फूड को पुरुषों और महिलाओं में टाइप-2 डॉयबिटीज, रक्तचाप में वृद्धि, अवसाद, पाचन की खराबी, गुर्दों में तकलीफ, स्मृति हानि, हृदय रोग, यकृत की क्षति, कैंसर, चर्म रोग, प्रतिरोधक क्षमता में कमी और समय पूर्व मौत का कारण माना जा रहा है। वास्तविक पौष्टिकता से दूर इन खाद्य पदार्थों में चीनी, नमक, खराब तेल और बनावटी रंग आदि शामिल होते हैं। ऐसा करने से फास्ट फूड का स्वाद इतना बढ़ जाता है कि लोग इन्हें बार बार खाना पसंद करते हैं। हालांकि, ऐसा भोजन हमारी सेहत के लिए हानिकारक है, लेकिन बाजार में उपलब्ध बर्गर, पिज्जा, फ्रेंच फ्राइज, चाउमीन, मोमोज, सैंडविच, फ्राइड चिकन, हॉट डॉग, टिकोज, स्प्रिंग रोल, डोनट, चिप्स, कुरकुरे, नूडल्स, नगेट्स, टॉफी, चॉकलेट, आइस्क्रीम, कुकीज, पेस्ट्रीज, नमकीन, स्नैक्स, पास्ता समोसा, कबाब, पकौड़ा, ढोकला, बड़ा पाव, मंचूरियन, मैगी, बिरयानी, नाचूस, मिठाई, कोल्डड्रिंक्स, ब्रेकफास्ट और खाद्य उत्पादों का सेवन पुरुषों और महिलाओं के साथ बच्चे भी कर रहे हैं। विशेषज्ञों ने पैकेटबंद फूड का सेवन कम करने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता बताई है। हालांकि जंक फूड का कभी कभार सेवन नुकसान नहीं देता, लेकिन नियमित सेवन के कारण मोटापे और स्थाई बीमारियों से बचना मुश्किल है। सोडियम की उच्च मात्रा सिरदर्द और माइग्रेन का कारण बनती है। अधिक कार्बोहाइड्रेट से मुंहासे और चीनी से दांतों में कैविटीज बनती हैं। तले खाद्य पदार्थों से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ता है।
स्वस्थ आहार के तहत विटामिन, खनिज, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट के अलावा, फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज, प्रोटीन और मेवे फायदेमंद हैं। टमाटर, आलू और ब्रोकली सहित विभिन्न प्रकार की लाल, हरी और पत्तेदार सब्जियाँ भी लाभदायक हैं। वसा रहित या एक प्रतिशत वसायुक्त दूध में कैल्शियम और अन्य पोषक तत्वों की मात्रा ज्यादा वसा वाले दूध से कम नहीं होती, इसलिए, बिना चिकनाई के दूध का उपयोग बेहतर है। प्रोटीन, खनिज, ओमेगा-3 और फैटी एसिड अधिक होने के कारण मछली को सप्ताह में लेना अच्छा है। पोषक तत्व प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होते हैं। चूंकि जंक और फास्ट फूड में प्राय आवश्यक पोषक तत्वों की कमी और कैलोरी अधिक होती हैं, इसलिए वजन और मोटापा बढ़ता है और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं। अतिरिक्त चीनी और ज्यादा कैलोरीज को नियंत्रित करने के लिए पेय पदार्थों के बजाय पानी पीना बेहतर है। पानी या बिना चीनी वाले पेय लेने से कैलोरीज काफी हद तक कम हो सकती है। स्वाद के लिए नींबू, तरबूज और मौसमी फलों का उपयोग बेहतर होता है। सेहतमंद आहार से ऊर्जा व पोषक तत्वों मिलते हैं, जो शारीरिक विकास में सहायक होने के अलावा हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर जैसे रोगों के जोखिम को कम करने में सकारात्मक भूमिका निभाते हैं। इसलिए फास्ट फूड से परहेज सेहत के लिए अच्छा और दीर्घायु का आसान विकल्प है।

एमए कंवल जाफरी

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