चोपचीनी, *

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चोपचीनी पचने में हल्की, वात, पित्त तथा कफ को शान्त करने वाली। यह भूख बढ़ाता है, मल–मूत्र को साफ करता है, और शरीर को ताकत देता है। यह यौवन तथा यौनशक्ति को बनाए रखता है। चोबचीनी कब्ज, गैस, शरीर दर्द, गठिया आदि जोड़ों की समस्याएं को ठीक करती है ।
यह चीन मूल की औषधि है इसका पेड़ जमीन पर बिछा सा होता है इसकी जड़ सुर्ख तथा गुलाबी रंग की होती है कोई सफेद या काली भी होती है यह चीन के पहाड़ों के अतिरिक्त बंगाल में सिलहट के पहाड़ों पर और नेपाल के पहाड़ों पर भी होती है चोपचीनी चरपरी मधुर कड़वी गरम मल मूत्र का शोधन करने वाली अफारा शूल वात व्याधि अपस्मार उन्माद और अंगों की वेदना को दूर करने वाली यह गरम और अग्नि वर्धक है अफारा और उदर शूल को शांत करती है दस्त और पेशाब को साफ करती है। पक्षाघात (लकवा)संधि वात अर्थराइटिस तथा वायु के अन्य रोगों में उपयोगी है गर्भाशय के रोग गुदा रोग कुष्ठरोग, खुजली, त्वचा की एलर्जी ,ज़हरीले फोड़े ,दाद रक्त संबंधी रोग ,फील पांव रोग में लाभदायक है ।अपस्मार ,पागलपन उन्माद में भी फायदा पहुचाती है ।उपदंश रोग के लिए यह लाभदायक औषधि है ।यह पुरुषों के वीर्य दोष और स्त्रियों के रजो दोष को दूर करती है। कंठमाला और नेत्र रोगों में भी लाभकारी है ।इससे अफ़ीम खाने की आदत छूट जाती है इसके सेवन से चेहरे पर तेज और कांति आती है। बच्चों को बिस्तर में पेशाब करने का रोग ठीक होता है।
चोबचीनी ताकत को बढ़ाती है। खून को साफ करती है शरीर की गर्मी को सुरक्षित रखती चोबचीनी प्रसन्नता बढ़ाती है‌।
कुछ लोग चोपचीनी को चोबचीनी भी कहते हैं। क्या आपको पता है कि चोपचीनी क्या है, और चोबचीनी के फायदे क्या-क्या हैं? अधिकांश लोगों को चोपचीनी के फायदे के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती, इसलिए वे चोबचीनी (चोपचीनी) से लाभ नहीं ले सकते। भारत में चोपचीनी का प्रयोग एक चीनी खाने में तथा नेपाल और बंगाल के पहाड़ों पर मसाले के रूप में होता है, लेकिन इसके अलावा भी चोबचीनी के फायदे और भी हैं। चोपचीनी का पौधा कांटेदार, मोटे प्रकंद वाला और फैला होता है। यह जमीन पर फैलते हुए बढ़ता है। इसके पत्ते नुकीले, अण्डाकार होते हैं। इसके फूल सफेद रंग के तथा आकार में छोटे होते हैं। इसके फल चमकीले लाल रंग के, गोलाकार मांसल और रसयुक्त होते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, चोपचीनी एक बहुत ही उत्तम जड़ी-बूटी है, और इसके उपयोग द्वारा अनेक तरह के रोगों की रोकथाम की जा सकती है। आप चोपचीनी के फायदे सिर दर्द, यौन रोग, जोड़ों के दर्द, चर्म रोग के अलावा अन्य कई बीमारियों में ले सकते हैं।

यूरिक एसिड को चमत्कारी रुप से कम करती है
चोपचीनी का चूर्ण (यह आपको आयुर्वेदिक स्टोर या पंसारी की दुकान पर मिल जायेगा) आधा चम्मच सुबह खाली पेट और रात को सोने के समय पानी से लेने पर कुछ ही दिनों में यूरिक एसिड (Uric Acid) ख़त्म हो जाता है। यह उपाय बहुत चमत्कारी है क्योंकि की यह आजमाया हुआ है।

चोपचीनी, सोंठ, मोचरस, अश्वगंधा दोनों सफेद और काली मूसली , कालीमिर्च, वायविडंग शुद्ध किये हुए कौंच की मिंगी तथा सौंफ को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनायें। बाद में 10 ग्राम की मात्रा में रोज खाकर ऊपर से मिश्री मिला दूध पी लें इससे पौरुष शक्ति बढ़ेगी और शुद्धि‍करण करेगा। इसमें मौजूद रसायन के कारण यह वीर्यदोष को दूर करने में भी मदद करता है।

चोपचीनी के वाजीकर होने के कारण ये शरीर की कमजोरी को दूर कर यह स्वप्नदोष जैसी परेशानियों को भी दूर करता है। इसके नियमित उपयोग से स्वप्नदोष से निजात पाने में मदद मिलती है।
सफ़ेद दाग़
चोपचीनी 50, ग्राम बावचि के बीज 50, ग्राम का चूर्ण बनाकर एक चम्मच (3, ग्राम,) सुबह और एक चम्मच रात में सोते समय शहद के साथ खाने से सफ़ेद दाग़ ठीक हो जाता है दूध और पसूओं से आने वाले आहार समुद्री आहार तेज मिर्च मसाले दार भोजन खट्टे फल सब्जी सिरका का परहेज़ करें।

सिफलिस
चोपचीनी का चूर्ण 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम लेने से उपदंश में लाभ होता है। उपदंश का जहर अगर ज्यादा फैल गया हो तो चोबचीनी का काढ़ा या फांट शहद मिलाकर पीना चाहिए।

गठिया रोग
चोपचीनी को दूध में उबालकर 3 से 6 ग्राम मस्तंगी, इलायची और दालचीनी को मिलाकर सुबह-शाम रोगी को देने से गठिया के दर्द में आराम मिलता है। चोपचीनी और गावजबान को मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े से घुटनों पर मिलाकर मालिश करने से दर्द व हड्डियों की कमजोरी खत्म हो जाती है।

कूल्हे से पैर तक का दर्द शयाटिका का दर्द
60 ग्राम चोपचीनी को मोटा-मोटा पीसकर रख लें। 200 मिलीलीटर पानी में 6 ग्राम चोबचीनी को रात में भिगोकर रख लें। सुबह उस चोपचीनी को आधा पानी खत्म होने तक उबालें और थोड़ा ठण्डा हो जाने पर पी लें। इससे कुल्हे से पैर तक का दर्द दूर होता है।

दमा के ल‍िए
100 ग्राम चोपचीनी लेकर 800 मिलीलीटर पानी में डालकर आग पर चढ़ा देते हैं। जब 300 मिलीलीटर पानी शेष रह जाए तो उसे उतार लेते हैं। इसे ठंडा करके छान लेते हैं। 25 ग्राम से 75 ग्राम तक यह काढ़ा रोजाना 3-4 बार पीने से श्वास रोग (दमा) ठीक हो जाता है।

ऐसे पहचानें
अच्छे चोपचीनी की पहचान-सबसे अच्छे चोपचीनी का रंग लाल या गुलाबी होता है। स्वाद मीठा होता है। यह चमकदार और चिकना होता है। इसमें गांठें और रेशे कम होते हैं। यह भीतर तथा बाहर से एक ही रंग का होता है। यह पानी में डालने पर डूब जााता है। इसके जो टुकड़े वजन में हल्के और सफेद रंग के हों, उनको कच्चा समझना चाहिए। चोपचीनी रक्त विकार और चर्म रोगों के इलाज के लिए बहुत अधिक उपयोगी माना जाता है चोब चीनी शरीर की संधियों और शिराओं में प्रवेश करके विकृत पित्त (यूरिक एसिड)को खतम करता है और अविकृत पित्त (साइट्रिक एसिड)को सहायता पहुंचाती है खून को साफ करती है संधियों (जोड़ों) को मजबूत करती है पेशाब को गति देती है मासिक धर्म को साफ करती है लकवा हाथ पैरों की सुजन उपदंस से होने वाला सिरदर्द ,आधा शीशी,पूराना नजला विसमृति चक्कर उन्माद ,और दमे के रोगों में भी लाभकारी है

चोपचीनी के नुकसान
गर्म प्रकृति वाले लोग (जिनका पेट गर्म रहता हो) चोपचीनी का अधिक मात्रा में उपयोग नहीं करें। चोपचीनी का अधिक मात्रा में उपयोग गर्म स्वभाव वालों के लिए हानिकारक होता है। चोबचीनी से होने वाले दोषों को दूर करने के लिए —–अनार के जूस का सेवन करें अनार का रस चोपचीनी के दोषों को दूर करता है।
यह पोस्ट आयुर्वेद पर आधारित सामान्य जानकारी उपलब्ध कराती है किसी भी चिकित्सा अथवा आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह अथवा चिकित्सा का विकल्प नहीं है।
यशपाल सिंह,आयुर्वेद रत्न

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