सोशल मीडिया पर प्रतिबंध का परिणाम है नेपाल की अराजकता

Date:

नेपाल में युवाओं का आक्रोश और विरोध प्रदर्शन यह संकेत देते हैं कि सरकार और जनता के बीच विश्वास का संकट गहरा रहा है। अगर यह स्थिति और बिगड़ी तो चीन अपना प्रभाव वहां और बढ़ाने का प्रयास कर सकता है। चीन पहले से ही नेपाल में अपनी पकड़ बनाये हुए है। ऐसे में नेपाल के लोकतांत्रिक संस्थानों में अविश्वास और अशांति बढ़ी तो यह भारत के लिए रणनीतिक चुनौती बन सकती है।

−−−−−−−−−

-नीरज कुमार दुबे

नेपाल में सरकार द्वारा प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर लगाए गए प्रतिबंध ने देश के राजनीतिक, सामाजिक और कूटनीतिक परिदृश्य को गहराई से प्रभावित किया है। यह केवल डिजिटल नीति का सवाल नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और युवा चेतना के लिए एक गंभीर चुनौती है। फेसबुक, यूट्यूब, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और स्नैपचैट जैसे प्लेटफ़ॉर्म्स, जिन्हें युवा पीढ़ी अपने विचार व्यक्त करने, दोस्तों से जुड़ने और वैश्विक घटनाओं से अपडेट रहने के लिए इस्तेमाल करती है, उन पर बैन लगाने से युवाओं में गहरी नाराजगी और असंतोष पैदा हुआ है।

युवा पीढ़ी पहले ही देश की कमजोर स्वास्थ्य और शिक्षा प्रणाली, भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद से तंग आ चुकी है। ऐसे समय में सोशल मीडिया पर पाबंदी ने उनकी निराशा को और बढ़ा दिया है। हाल ही में ‘नेपो किड्स’ यानि राजनीतिक परिवारों के बच्चों के विरुद्ध उभरे गुस्से और काठमांडू में जेनरेशन ज़ेड के युवाओं का प्रदर्शन यह दर्शाता है कि वह अब अन्याय को चुपचाप सहन नहीं करेंगे। यह चेतावनी है कि यदि सरकार युवा वर्ग की भावनाओं को समझने में विफल रही, तो राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ सकती है।

देखा जाये तो इस घटनाक्रम का भारत और दक्षिण एशिया के लिए भी महत्वपूर्ण संदेश है। नेपाल भारत का निकटतम पड़ोसी और रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण देश है। वहां की अस्थिरता न केवल सीमा सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकती है, बल्कि चीन जैसे बाहरी प्रभावों को बढ़ावा देने का अवसर भी दे सकती है। हाल ही में ओली सरकार का चीन के प्रति झुकाव, पश्चिम और जापान से दूरी और सीमा विवादों में आक्रामक रुख ने यह संकेत दिया है कि नेपाल अपनी रणनीतिक स्वतंत्रता के बावजूद विदेशी प्रभावों के जाल में फंसता जा रहा है।सही कदम गलत तरीके से उठाया

यह ठीक है कि सोशल मीडिया को कानूनी और सामाजिक वास्तविकताओं के अनुरूप नियंत्रित करना आवश्यक था, लेकिन इसे कैबिनेट निर्णय के माध्यम से लागू करना और विवादास्पद प्रावधान लागू करना— जैसे ‘समस्याग्रस्त सामग्री’ को 24 घंटे में हटाना, जैसी नीति को थोपना गलत था। पहले ही दक्षिण एशिया में लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। श्रीलंका, पाकिस्तान और अब नेपाल के हालात यह संदेश देते हैं कि लोकतंत्र केवल चुनाव तक सीमित नहीं रह सकता; इसे जीवित बनाए रखने के लिए नागरिकों की स्वतंत्रता, उनके अधिकार, शासन में पारदर्शिता और संवेदनशील कूटनीति की रक्षा आवश्यक है।

नेपाल की सरकार को अब यह समझना होगा कि विदेशी ऐप्स को कानूनी दायरे में लाना उचित है, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण है कि वह अपने युवाओं और नागरिकों की भावनाओं का सम्मान करें। युवा पीढ़ी देश के भविष्य के निर्माता हैं; उनकी आवाज़ को दबाना, उन्हें अपमानित करना और डिजिटल माध्यमों पर नियंत्रण लगाना केवल अस्थायी समाधान होगा, जबकि अस्थिरता और सामाजिक तनाव स्थायी रूप से बढ़ सकते हैं।

इसमें भी कोई दो राय नहीं कि नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता, सोशल मीडिया पर पाबंदी और युवा विरोध प्रदर्शन न केवल वहां की आंतरिक राजनीति को प्रभावित कर रहे हैं, बल्कि यह भारत के लिए भी चिंता का विषय बन गए हैं। नेपाल भारत का सबसे नजदीकी पड़ोसी और रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण देश है। दोनों देशों के बीच खुले सीमावर्ती संबंध, सामाजिक-सांस्कृतिक मेलजोल और आर्थिक संबंध गहरे हैं। ऐसे में नेपाल में बढ़ती अस्थिरता का सीधे प्रभाव भारत की सीमा सुरक्षा, सीमावर्ती इलाकों की स्थिरता और वहां रहने वाले भारतीय नागरिकों पर पड़ सकता है।

नेपाल में युवाओं का आक्रोश और विरोध प्रदर्शन यह संकेत देते हैं कि सरकार और जनता के बीच विश्वास का संकट गहरा रहा है। अगर यह स्थिति और बिगड़ी तो चीन अपना प्रभाव वहां और बढ़ाने का प्रयास कर सकता है। चीन पहले से ही नेपाल में अपनी पकड़ बनाये हुए है। ऐसे में नेपाल के लोकतांत्रिक संस्थानों में अविश्वास और अशांति बढ़ी तो यह भारत के लिए रणनीतिक चुनौती बन सकती है।

इसके अलावा, नेपाल में सामाजिक असंतोष और राजनीतिक अशांति सीमा पार अपराध, तस्करी और अवैध गतिविधियों को भी बढ़ावा दे सकते हैं। नेपाल में मीडिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगना युवाओं में निराशा और विद्रोह की भावना को और बढ़ाता है, जो लंबे समय में भारत के लिए सुरक्षा और राजनीतिक स्थिरता की दृष्टि से जोखिम बन सकता है।

इसलिए भारत को नेपाल के हालात पर सतर्क नजर रखनी चाहिए। यह सतर्कता केवल सीमा सुरक्षा तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसमें कूटनीतिक संवाद, आर्थिक सहयोग और सांस्कृतिक संपर्क के माध्यम से नेपाल के लोकतांत्रिक ढांचे और सामाजिक स्थिरता को बनाए रखने का प्रयास शामिल होना चाहिए। भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि नेपाल के अंदरूनी संकट भारत-नेपाल संबंधों को प्रभावित न करें और क्षेत्रीय संतुलन बना रहे। देखा जाये तो नेपाल में बिगड़ते हालात भारत के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा, सामरिक संतुलन और क्षेत्रीय स्थिरता से जुड़ा मामला भी है। इसलिए भारत को सक्रिय, सतर्क और संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाना अनिवार्य है।

नेपाल सरकार को इस स्थिति को संभालने के लिए संतुलित और पारदर्शी रुख अपनाना होगा। सबसे पहले, युवा नेताओं और प्रदर्शनकारियों के साथ खुले संवाद की आवश्यकता है। सोशल मीडिया एप्स पर प्रतिबंध का उद्देश्य और कानूनी आधार स्पष्ट करना जरूरी है ताकि जनता को यह विश्वास हो कि यह कदम सिर्फ डिजिटल सुरक्षा और कानूनी संगति के लिए उठाया गया है, न कि युवाओं की आवाज़ दबाने के लिए। इसके साथ ही, सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों को नियंत्रित करने के लिए एक समग्र और न्यायसंगत कानून तैयार किया जाना चाहिए, न कि केवल कैबिनेट निर्णय या तात्कालिक आदेश पर जोर देना चाहिए। विवादास्पद प्रावधानों की समीक्षा और विशेषज्ञ सलाह से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि कानून निष्पक्ष और संतुलित हो।

इसके अलावा, युवाओं की भागीदारी और उनके सुझावों को नीति निर्माण प्रक्रिया में शामिल करना भी आवश्यक है। उनके दृष्टिकोण को गंभीरता से लेने से यह संदेश जाएगा कि सरकार उनकी आवाज़ को महत्व देती है। साथ ही, प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसक कार्रवाई से बचना चाहिए और शांतिपूर्ण संवाद के माध्यम से समाधान खोजा जाना चाहिए। डिजिटल शिक्षा और जागरूकता बढ़ाने के कार्यक्रमों के जरिए युवा समाज को जिम्मेदार इंटरनेट उपयोग की ओर प्रेरित किया जा सकता है।

बहरहाल, देखा जाये तो नेपाल सरकार के सामने यह चुनौती केवल सोशल मीडिया नियंत्रण की नहीं है, बल्कि लोकतंत्र और युवा चेतना को बनाए रखने की भी है। संतुलित, पारदर्शी और संवादात्मक रुख अपनाकर ही सरकार युवा नाराजगी को शांत कर सकती है और देश में राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता सुनिश्चित कर सकती है।

-नीरज कुमार दुबे

(इस लेख में लेखक के अपने विचार हैं।)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

मल्लिका-ए-ग़ज़ल: बेगम अख़्तर – जीवन के अनछुए पहलू

तवायफ की बेटी से सुरों की रानी तक का...

रूस–यूक्रेन युद्ध, अब क्या हो रहा है ? पश्चिम की थकान और भारत के लिए सीख

… जैसा कि हम सब देख रहें हैं कि रूस–यूक्रेन...

कैलिफोर्निया ने दीपावली पर राजकीय अवकाश

कैलिफोर्निया ने दीपावली पर आधिकारिक राजकीय अवकाश घोषित...
en_USEnglish