मानसिक स्वास्थ्य को तरोताजा रखती है शारीरिक गतिविधियां

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बाल मुकुन्द ओझा

संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस हर साल 10 अक्टूबर को मनाया जाता है ताकि लोगों के बीच जागरूकता फैलाई जा सके। इस साल  की थीम मन का महत्व: भावनात्मक मजबूती का निर्माण रखी गया है। इस थीम का जन साधारण को यह समझाना है कि भावनात्मक संतुलन बनाए रखना, आत्मविश्वास और मानसिक शक्ति को मजबूत करना जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और खुशहाली के लिए जरूरी है। आज के दौर  में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं  एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरी हैं। एक बेहतर स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए स्वस्थ मानसिकता अत्यंत आवश्यक है। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति ही स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में आठ में से एक व्यक्ति मेंटल डिसऑर्डर यानि मानसिक रूप से अस्वस्थता का शिकार है। आज की भागदौड़ भरी लाइफ स्टाइल में काम का दबाव और समय का प्रबंधन हम पर इस कदर हावी हो चुके हैं कि हमारा मानसिक स्वास्थ्य गड़बड़ा रहा है। बच्चे से बुजुर्ग तक मानसिक बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।

मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए जरूरी है कि आप शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। शारीरिक गतिविधि की कमी के कारण गुड हार्मोन सेरोटोनिन का रिलीज कम हो जाता है, जो सीधे तौर पर मूड को ठीक रखने के लिए आवश्यक है। इसका हमारे शरीर पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे शरीर में लचीलापन बढ़ता है, रक्त प्रवाह बढ़ता है और इससे मूड सुधरने लगता है। इस स्थिति में आपमें सकारात्मक भावनाओं की कमी हो सकती है। हर दिन केवल 30 मिनट पैदल चलने से आपके मूड को बेहतर बनाने और आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है। काम से समय निकाल कर हर दिन एक्सरसाइज करें। मन को शांत रखने के लिए योग बेहतरीन अभ्यास है। संतुलित आहार और भरपूर पानी पूरे दिन आपकी एनर्जी और फोकस में सुधार कर सकता है। कोल्ड ड्रिंक या कॉफी जैसे कैफीनयुक्त ड्रिंक्स का सेवन सीमित करें। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का समग्र उद्देश्य दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और मानसिक स्वास्थ्य के समर्थन में प्रयास जुटाना है। यह दिन मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर काम करने वाले सभी हितधारकों को अपने काम के बारे में बात करने का अवसर प्रदान करता है, और दुनिया भर के लोगों के लिए मानसिक स्वास्थ्य देखभाल को वास्तविकता बनाने के लिए और क्या करने की आवश्यकता है, इसके बारे में बात करने का अवसर प्रदान करता है। इस दिन पूरी दुनिया में मानसिक बीमारी से जुड़े हुए विषय पर कई प्रकार के स्वास्थ्य संबंधित प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं। जिसमें लोगों को किस प्रकार आप अपने आप को मानसिक रूप से स्वस्थ रखेंगे उसके बारे में डॉक्टर के द्वारा कई प्रकार के टिप्स और जानकारी उपलब्ध करवाए जाते हैं, ताकि आप उन टिप्स और जानकारी का अनुसरण कर अपने आप को मानसिक रूप से मजबूत बना सके। तनाव, चिंता और अवसाद या फिर किसी भी तरह की मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या मानसिक रोगों की श्रेणी में आता है। मानसिक रोगी की मनोदशा और स्वास्थ्य का असर उसके स्वभाव में देखने को मिलता है। ऐसा व्यक्ति अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाता है। एक सर्वे के मुताबिक देश के 59 फीसदी से अधिक लोगों को लगता है कि वह अवसाद की स्थिति से जूझ रहे हैं। लेकिन वह अपने परिवार व दोस्तों से इसका जिक्र नहीं करते हैं। क्योंकि कहीं ना कहीं आज भी मानसिक बीमारी हमारे देश एक वर्जित विषय के तौर पर देखा जाता है। मानसिक रोग के लक्षण लगातार उदास रहना मूड का बार-बार बदलना असामान्य बर्ताव करना अचानक से गुस्सा होना और अचानक से हंसना घबराहट या दर्द होना आदि।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनियाभर में 28 करोड़ से अधिक लोग डिप्रेशन के शिकार हैं। मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर सामाजिक टैबू के चलते इनमें से ज्यादातर लोगों का समय पर इलाज नहीं हो पाता है। भारत में  9,000 मनोचिकित्सक हैं या प्रति 100,000 लोगों पर एक। प्रति 100,000 लोगों पर मनोचिकित्सकों की आदर्श संख्या तीन है। परिणामस्वरूप, भारत में 18,000 मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों की कमी है। डब्ल्यूएचओ का यह भी अनुमान है कि लगभग 7.5 प्रतिशत भारतीयों को मानसिक बीमारी है और इस साल के अंत तक लगभग 20 प्रतिशत  भारतीयों को मानसिक बीमारी होगी। आंकड़ों के मुताबिक, 56 मिलियन भारतीय अवसाद से पीड़ित हैं। अन्य 38 मिलियन लोग चिंता विकारों से पीड़ित हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 2012 से 2030 के बीच मानसिक स्वास्थ्य विकारों के कारण भारत को 1.03 ट्रिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान होगा।

बाल मुकुन्द ओझा

वरिष्ठ लेखक एवं पत्रकार

डी 32, मॉडल टाउन, मालवीय नगर, जयपुर

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