
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज नई दिल्ली में शिक्षण और अध्ययन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उपयोग पर परामर्शी समिति की तीसरी बैठक की अध्यक्षता की। श्री प्रधान ने कहा कि एआई में शिक्षा के क्षेत्र में कुछ सबसे बड़ी चुनौतियों- विशेष रूप से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को अधिक समावेशी, सुलभ और न्यायसंगत बनाने की दिशा में- का समाधान करने की क्षमता है।
उन्होंने सदस्यों के बहुमूल्य सुझावों और विचारों की सराहना की और उन्हें धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि हम अध्ययन को विद्यार्थी-केंद्रित और व्यक्तिगत बनाने, अध्ययन परिणामों में सुधार करने, हमारे विविध विद्यार्थी समुदाय की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ विद्यार्थियों और शिक्षकों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
उच्च शिक्षा में किए जा रहे उपायों पर एक विस्तृत प्रस्तुति भी दी गई, जिसमें शिक्षण-अध्ययन प्रक्रियाओं, अनुसंधान, नवोन्मेषण और रोजगार क्षमता को सुदृढ़ करने में एआई की रूपांतरकारी भूमिका पर बल दिया गया। चर्चा में केंद्र द्वारा वित्त पोषित संस्थानों में एआई-सक्षम पाठ्यक्रम अद्यतन, कौशल-आधारित और अंतःविषयक पाठ्यक्रमों का एकीकरण और उन्नत शिक्षा तथा अनुसंधान में सहायता करने के लिए डिजिटल और वास्तविक अवसंरचना के संवर्धन की रूपरेखा प्रस्तुत की गई। प्रस्तुति में रेखांकित किया गया कि इन उपायों का उद्देश्य भविष्य के लिए तैयार स्नातकों का निर्माण करना, उच्च शिक्षा संस्थानों के भीतर नवोन्मेषण इकोसिस्टम को बढ़ावा देना और यह सुनिश्चित करना है कि भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी और समावेशी बनी रहे।
शिक्षा एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (डोनर) राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार; कौशल विकास एवं उद्यमिता (स्वतंत्र प्रभार) एवं शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी; समिति के सदस्य, विद्यालय शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार; उच्च शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. विनीत जोशी और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी बैठक में उपस्थित थे।


